सुविवि से सम्बद्ध 78 बीएड कालेजों के प्राचार्यों की कार्यशाला
उदयपुर। मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय से सम्बद्ध 78 बीएड कालेजों के प्राचार्यों की एक दिवसीय कार्यशाला प्रबन्ध अध्ययन संकाय के सभागार में आयोजित हुई। इसमें 72 कालेजों के प्राचार्यों ने भाग लिया। इस कार्यशाला में बीएड कालेजों में शैक्षणिक गुणवत्ता बढाने संसाधनों के विस्तार करने सहित कई मुद्दों पर विस्तार से विचार मन्थन हुआ।
सुविवि के कुलपति प्रो इन्द्रवर्द्धन त्रिवेदी, रजिस्ट्रार डा एलएन मन्त्री, बीएड फेकल्टी चेयरमेन प्रो केसी सोडानी चीफ प्रोक्टर प्रो विजय श्रीमाली सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में हुई इस कार्यशाला में प्रो त्रिवेदी ने कहा कि यूजीसी, राज्य सरकार ओर राष्ट्रीय अध्यापक परिषद द्वारा तय किए मापदंडों के अनुरुप बीएड कालेजों को खरे उतरने ओर उन्हें कायम रखने की आवश्यकता है ताकि विश्वविद्यालय के सम्बद्ध कालेजों की शैक्षिक गुणवत्ता भी बनाई रखी जा सके। उन्होंने कहा कि सुविवि इस वर्ष अपनी स्थापना की स्वर्ण जयन्ती वर्ष मना रहा है और प्रशासन चाहता है कि सभी सम्बद्ध कालेजों में बेहतरीन व्यवस्थाएं कायम की जाए। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि सम्बद्ध कालेज भी विश्वविद्यालय के ही अंग है और उनके विकास में विश्वविद्यालय का विकास निहित है। रजिस्ट्रार डा एलएन मन्त्री ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय से सम्बद्धता नियमों को कडा करने और उनकी पालना सख्ती से करवाने की बात कही।
प्रथम सत्र में परिचय और चर्चा का आयोजन हुआ जबकि दूसरे सत्र में विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारियों ने प्रत्येक प्राचार्य से व्यक्तिगत तौर पर बातचीत की और उनकी समस्याओं को सुना। कई प्राचार्यों ने कालेज की तो कई ने व्यक्तिगत समस्याओं को बताया।कार्यक्रम का संचालन डिप्टी रजिस्ट्रार डा दिग्विजय सिंह चौहान ने किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की ओर से सभी कालेजों के मापदंडों और सम्बद्धताओं को जांचा भी गया। इसमें कुछ कालेजों में अनियमितताएं भी मिली जिस पर प्राचार्यों को सख्त हिदायत देते हुए उन्हें नियमों का पालन करने को कहा गया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें चेतावनी दी और भविष्य के लिए आगाह भी किया। बीएड कालेज के प्राचार्य इस बात से प्रसन्न थे कि उन्हें अब विश्वविद्यालय का सम्बद्ध कालेज मान लिया गया है। व्यक्तिगत समस्याओं में कई प्राचार्यों ने वेतन विसंगतियों की बात कही तो कुछ ने संसाधनों में कमी की बात कही।