उदयपुर। जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) एक्ट के अंतर्गत वर्ष 2017-18 में मासिक रिटर्नस में दिखाए गए कुल टर्नओवर को फार्म 9 (वार्षिक रिटर्न) में मिलान करना जरुरी हो गया है एवं इस हेतु अभी से प्रयास करना होगा अन्यथा वार्षिक जी.एस.टी रिटर्न समय पर नहीं भरने से सो रूपये प्रतिदिन या टर्नओवर का पॉइंट पच्चीस प्रतिशत पेनल्टी देनी होगी।
यह विचार उदयपुर टैक्स बार द्वारा आयोजित जी.एस.टी सेमीनार में जयपुर से आये विषय विशेषज्ञ एडवोकेट् राहुल लखवानी ने आईसीएइ सभाग्रह में व्यक्त किया। सेमिनार की शुरुआत करते हुए अध्यक्ष सी.ए. निर्मल सिंघवी ने बताया कि जी.एस.टी इनपुट क्रेडिट जिसका वर्ष 2017-18 में दावा करना रह गया उसका अंतिम अवसर सितम्बर के रिटर्न में 20 अक्टूबर तक फॉर्म 3-बी में करना होगा एवं इसी तरह बिक्री में इस वर्ष कि भूल सुधार 31 अक्टूबर करना होगा।
एडवोकेट् राहुल लखवानी ने बताया कि जी.एस.टी एक्ट 2017 देश में पहली बार लागू होने से इसकी पूर्व में कोई मिसाल नहीं होने से सावधानी अधिक बरतनी होगी अन्यथा व्यापारियों को बहुत व्यावसायिक हानि उठानी पड़ सकती है। उन्होंने दो करोड से अधिक टर्नओवर होने पर जी.एस.टी हिसाब किताब ऑडिट अनिवार्य होना बताया जो देश में पहली बार लागू होगा एवं इस हेतु व्यापारी को जी.एस.टी रिटर्न एवं ऑडिट फॉर्म 9 सी को पूर्ण मिलाना होगा। सेमिनार में संभाग के 150 से अधिक सी.ए. , टैक्स एडवोकेट्स ने भाग लिया एवं निर्यात रिफंड , ई वे बिल अनिवार्यता , रिटर्नस भरने में आने वाली प्रक्रियात्मक कठिनाइयो एवं अन्य ब्याज गणना , पेनल्टी पर विस्तार से चर्चा की ।
आरम्भ में अध्यक्ष सी. ए. निर्मल सिंघवी ने सभी का स्वागत किया एवं सचिव किशोर पाहुजा ने सभी को धन्यवाद् देते हुए जी.एस.टी रिटर्नस पर विचार व्यक्त किये ।
सेमिनार में जीएसटी समिति के चेयरमैन प्रकाश जवारिया , राकेश मेहता, शशिकांत मेहता, जयेश पारख, आरएल कुणावत, डॉ. सतीश जैन, रमेश विजयवर्गीय, अमित तिवारी एवं अन्य सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया।