मुख्यमंत्री कोष में 10 करोड़ राशि का योगदान
कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में राज्य सरकार की मदद करने के लिए सभी क्षेत्रों से जुड़े लोग और संगठन आगे आ रहे हैं। इस अभियान में वेदांता समूह की राजस्थान स्थित दो कंपनियों, हिंदुस्तान जिंक और केयर्न ऑयल और गैस ने राजस्थान मुख्यमंत्री सहायता कोष में 10 करोड़ रुपये का योगदान दिया है।
यह योगदान उस लगभग 8 करोड़ की राशि के अतिरिक्त है, जो दोनों कंपनियां अपने परिचालन क्षेत्रों में सामुदायिक प्रयासों के दौरान खर्च कर कर रही हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इन चुनौतीपूर्ण समय के दौरान राज्य को समर्थन देने के लिए वेदांत समूह के प्रयासों की प्रशंसा की है। बाड़मेर और उदयपुर में संचालित इन दोनों कंपनियों ने इस अवधि में न्यूनतम कार्मिकों और कड़े स्वास्थ्य-सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ, इस चुनौतीपूर्ण समय में समय में केवल सुरक्षित उत्पादन पर ध्यान देने के साथ संचालन जारी रखा है। इसके अलावा, वे स्थानीय लोगों और समुदायों की मदद करने के लिए जागरूकता फैलाने और सीएसआर कार्यों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा और स्वच्छता के क्षेत्रों में स्थानीय प्रशासन के प्रयासों में भागीदारी निभा रहे हैं।
कोरोना के विरुद्ध अभियान में राजस्थान सरकार और जिला प्रशासन ने प्रभावी कदम उठाए हैं। सरकार के स्तर पर लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए बचाव के उपाय लागू किए गए हैं।
वेदांता लिमिटेड के अध्यक्ष श्री अनिल अग्रवाल ने कहा, “कोरोनोवायरस महामारी से लड़ने के लिए सामूहिक प्रयास करने का समय है ताकि हम एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकें। हम कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन हमारे लिए देश का हित पहली प्राथमिकता है। समाज को वापस देने के लिए यह महत्वपूर्ण समय पर ये हमारा कर्तव्य भी है। वेदांता का राजस्थान के साथ एक लंबा और फलदायी संबंध रहा है। राजस्थान के लोगों और विकास के प्रति हमारी प्रतिबद्धता अटूट है। हम इस महामारी से लड़ने और जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने में राज्य और जिला प्रशासन का सहयोग करने के लिए तत्पर हैं।”
इस अभियान में नंद घर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। नंद घर के रूप में अत्याधुनिक आंगनवाड़ियों को भारत में ग्रामीण बच्चों और महिलाओं को लाभ पहुंचाने के लिए समर्पित एक परिवर्तनकारी कदम माना जा रहा है। राजस्थान में, पहले से ही 914 नंद घर, आधुनिक आंगनवाड़ी 11 जिलों में चल रहे हैं। इन नंद घर का लक्ष्य 36,500 से अधिक बच्चों और 27,000 से अधिक महिलाओं को प्रभावित करना है।
इसके अतिरिक्त, वेदांता फाउंडेशन राजस्थान के रींगस में 1995 से अधिस्नातक महिला महाविद्यालय संचालित कर रहा है। इस कॉलेज की 3000 विद्यार्थी निकटवर्ती समुदायों में सूखा राशन, स्वनिर्मित सेनिटाइजर और मास्क वितरित करते हुए महत्वपूर्ण सहयोग दे रहे हैं।
राजस्थान में सबसे बड़ा करदाता होने के नाते, और एक जिम्मेदार कॉर्पोरेट के रूप में, हिंदुस्तान जिंक हमेशा देश के विकास का समर्थन करने, रोजगार पैदा करने और गरीबी उन्मूलन में मदद करने में सबसे आगे रहा है। सरकारी निर्देशों के अनुसार, हिंदुस्तान जिंक ने कोविड -19 महामारी से संबंधित सभी प्रोटोकॉलों को अपनाते हुए अपना परिचालन शुरू कर दिया है। कर्मचारी सुरक्षा और स्वच्छता पर कोई समझौता नहीं किया गया है, और कंपनी ने जनहित में संचालन जारी रखा है, और आर्थिक मंदी को कम करने में मदद करती है।
कोरोनो वायरस महामारी से निपटने के लिए हिंदुस्तान जिंक, राजस्थान के 6 जिलों के 189 गाँवों और उत्तराखंड के पंतनगर में काम कर रहा है। यह 30,000 से अधिक परिवारों को सूखे राशन के रूप में समुदाय के लिए राहत उपायों का विस्तार कर रहा है और द ग्रेन बैंक पहल के तहत समुदाय में अनाज का योगदान करने के लिए लगभग 20,000 महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों के ज़रिए जुटाया है। इसने अब तक 80,000 से अधिक मास्क (N95 मास्क, 3-प्लाई मास्क और क्लॉथ मास्क), 10,000 पीपीई किट और 10,000 गॉगल्स, और 2,000 डिस्पोजेबल थर्मामीटर और 5,000 फेस शील्ड्स की आपूर्ति की है।
तेल और गैस का उत्पादन मिशन-महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि श्रेणी में आता है, जिसे देश को अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए जारी रखना चाहिए। इसलिए, कंपनी के “ऊर्जा योद्धा”, जो सामान्य रूप से तैनात कार्यबल का सिर्फ सातवाँ हिस्सा ही हैं, वे भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए उत्पादन को बनाए रखने के लिए अपने नियमित शिफ्ट ऑफ़ ड्यूटी से परे जा रहे हैं। राजस्थान के अधिकांश विपुल तेल क्षेत्रों के लिए, इसका मतलब है कि महत्वपूर्ण नौकरियां, उत्पादन, राजस्व और इससे जुडी क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को बनाए रखना।
केयर्न के जागरूकता और संवेदीकरण अभियान राजस्थान, गुजरात और आंध्र प्रदेश के 525 गाँवों तक पहुँच रहा है। बाड़मेर में, यह कोरोनोवायरस के खिलाफ संजीवनी परियोजना के तहत 69 गांवों में काम कर रहा है। जोधपुर में केयर्न सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (CCoE) को 120-बेड क्षमता वाली क्वारंटाइन सुविधा के रूप में जिला प्रशासन को सौंपने के अलावा, इसमें एक एम्बुलेंस, 20 वेंटिलेटर, 33,000 फेस मास्क और 2,535 लीटर हैंड सैनिटाइज़र का भी योगदान है।
जरूरतमंदो पर कोविड-19 के प्रभावों को कम करने के लिए केंद्रित करने के साथ ही, हिंदुस्तान जिंक राजस्थान में सामुदायिक राहत के लिए व्यापक प्रयास जारी रखे हुए है। हिंदुस्तान जिंक भारत का एकीकृत जस्ता – सीसा का सबसे बड़ा उत्पादक है, जो कोरोनोवायरस महामारी से निपटने के लिए राजस्थान और उत्तराखंड के पंतनगर में 189 गांवों और 6 जिलों में राहत प्रदान कर रहा है। राहत उपायों को बढ़ाने के लिए हिंदुस्तान जिंक पंचायतों, जिला प्रशासन, पुलिस, सामुदायिक श्रमिकों और आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर कार्य कर रहा है। स्थानीय समुदायों पर महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए सक्रिय कदम उठाए जा रहे हैं।
खाद्य राहत
यह सुनिश्चित करने के लिए कि समुदायों में कोई भी भूखे पेट नही सोये, 2500 से अधिक कुपोषित बच्चों और गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को भोजन का वितरण खुशी – नंदघर परियोजना के तहत किया जा रहा है।
सूखे राशन और पका हुआ भोजन वितरित करने के रूप में खाद्य राहत को बढ़ाते हुए 30 हजार से अधिक परिवारों को सूखा राशन सहायता प्रदान की गयी है, जबकि 1.5 लाख पके हुए भोजन को मजदूर वर्ग एवं समुदायों को उपलब्ध कराया गया है।
4400 परिवारों तक जागरूकता से पहुंच कर उन्हें लाभान्वित करने के साथ ही गांवों में 2200 आंगनवाडी केन्द्रों और उनके बच्चों तक पहुंच बनाकर उन्हें आवश्यक पोषण उपलब्ध कराया जा रहा है।
हिंदुस्तान जिंक के सक्रिय उपाय न केवल समुदायों को लाभ पहुंचा रहे है बल्कि इस महामारी के समय में उनके साथ जुड कर भी राहत हेतु प्रतिब़द्ध है।
स्वयं सहायता समूहों 125 महिलाओं द्वारा 1.25 लाख मास्क बनाए गये है। जिससे स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को इस आपातकाल में 7.5 लाख रूपयों की आय सुनिश्चित हुई है।
उच्च गुणवत्ता के कारण इन मास्क को व्यापारियों द्वारा भी क्रय किया गया है।
इन महिलाओं के अतिरिक्त हिन्दुस्तान जिंक के कर्मचारियों की पत्नियों द्वारा स्वेच्छा से 2 हजार मास्क बना कर वितरित किये गये है।
इसके अलावा कर्मचारियों द्वारा स्वेच्छिक रूप से जरूरतमंदो को राशन सामग्री उपलब्ध करा सहयोग किया जा रहा है।
द ग्रेन बैंक इनिशियेटिव
प्रधान मंत्री के दृष्टिकोण और आव्हान जिसमें जरूरतमंदो को सहायता ही नहीं बल्कि भविष्य के लिए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की सोच से साथ 20 हजार स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने द ग्रेन बैंक इनिशियेटिव के तहत् अनाज जुटाया है।
इस पहल से अब तक 10 हजार किलो अनाज एकत्रित किया जा चुका है।
‘सूखी रसोई‘
इसमें पहल में विस्तार कर अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन के साथ सूखी रसोई की स्थापना की गयी है जिनमें स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा जरूरतमंदो के लिए भोजन तैयार कर उपलब्ध कराया जा रहा है।
मेडिकल सुविधाए
कंपनी ने अस्पतालों में निरीक्षण कक्ष स्थापित किए हैं और किसी भी आपात स्थिति के दौरान निवारक उपाय हेतु मोबाइल स्वास्थ्य वैन के माध्यम से डोर टू डोर स्वास्थ्य सेवाओं उपलब्ध है।
इस महामारी में मेडिकल और फ्रंटलाइन कर्मचारियों तक पहुंचने की हमारी प्रतिबद्धता में, हिंदुस्तान जिंक अब तक 80 हजार मास्क जिनमें एन 95, अन्य एवं कपडे के मास्क, 10 हजार पीपीई किट और 10 हजार चश्मों के अलावा 2 हजार डिस्पोजेबल थर्मामीटर और 5 हजार फेस शील्ड, 3 हजार ग्लव्स एवं 450 थर्मल स्केनर के साथ ही चिकित्सा सुविधाओं को मजबूत करने के लिए आपूर्ति की है।
स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा निर्मित फुल बाडी सुट्स भी स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध कराये जा रहे है।
स्वास्थ्य और स्वच्छता को बनाए रखने के लिए कार्य योजना में, आस पास के गावों में सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव और फ्यूमिगेशन द्वारा क्षेत्रों कीटाणुशोधन, मास्क, सैनिटाइजर और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) जैसे चिकित्सा सहायता उपकरण उपलब्ध कराये है।
अब तक संक्रमण मुक्त करने हेतु लगभग 25 हजार लीटर सोडियम हाइपोक्लोराइट घोल की खरीद की गई है।
लोगो को स्वच्छता के लिए जागरूक कर उन्हे सोशल डिस्टेंस एवं निर्धारित गोलो के माध्यम से दूरी बनाए रखने के साथ ही आॅडियों संदेश के माध्यम से भी जानकारी दी जा रही है।
वर्चुअल कक्षाएं
तकनीकी सहायता से वर्चुअल कक्षाएं चला कर सीएसआर कार्यक्रम के तहत् शिक्षा एवं कौशल की जानकारी दी जा रही है।
वर्चुअल कक्षाओं के माध्यम से ही जिंक फुटबाॅल एकेडमी के बच्चों को नियमित दैनिक कार्य दिया जाता है जिससे उनका दैनिक अभ्यास ना छूटें।