पेसिफिक विश्वविद्यालय एवं सिपेम (वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार) के संयुक्त तत्वावधान में पेटेंट डायनामिक्स काॅनकलेव 2021 पर दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का समापन हुआ।
प्रथम दिन डॉ. रितेश अग्रवाल, (हेड, आई. पी. आर. प्रकोष्ठ) ने सिपेम की गतिविधियों एवं इस काॅनकलेव के उद्देश्यों के बारे में बताते हुए सभी वक्ताओं एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. के. क.े दवे (प्रेसिडेन्ट, पेसिफिक विश्वविद्यालय) ने आर्शीवचन प्रदान करते हुए इस काॅनकलेव की सफलता की कामना की। प्रो. जयेश द्विवेदी ने फार्मा एवं कृषि उद्योगों में पेटेंट के महत्व पर ध्यान आकर्षित किया। प्रो. हेमन्त कोठारी (चेयरमैन, आई. पी. आर. प्रकोष्ठ) ने भारत के विश्वविद्यालयों में पेटेंट की आज की स्थिति से अवगत करवाया और उन्होनें भारत सरकार के द्वारा हाल ही में जो उल्लेखनीय कदम उठाए है, उनसे भी अवगत करवाया जो की पेटेंट आवेदन की प्रकिया को सरल बनाएगें और उसे बढ़ावा देगें। इस वेबिनार से शोधकर्ताओं को पेटेंट के विभिन्न पहलुओं के बारे में ज्ञान प्राप्त हुआ। जिससें संस्थान एवं उद्योग लाभान्वित होगें। पेसिफिक विश्वविद्यालय के पेटेंट प्रकोष्ठ की गतिविधियों पर भी प्रकाश डाला। समारोह की मुख्य वक्ता डाॅ. पर्ल सोबती (सहायक, उपाध्यक्ष सिपेम) ने शिक्षण संस्थाओं तथा फार्मा एवं कृषि उद्योग में पेटेंट के वित्तीय योगदान एवं उनके उपलब्धियों के बारे में अपने विचार व्यक्त किये। साथ ही पेटेंट कानून का विवरण और विभिन्न प्रकार के पेटेंट जो की फार्मा एवं कृषि में लिए जा सकते है पर अपने अतिथ्यि उद्बोधन पर विशेष रूप से महत्वता दी। द्वितीय सत्र में प्रतीक श्रीवास्तव ( आई. पी. आर. ऐटोर्नी ) ने स्पष्ट किया कि किस प्रकार किसी विषय विशेष पर पेटेंट को खोजा जा सकता है तथा किसी पेटेंट की उत्तमता के लिये क्या आवश्यक हैघ् इस काॅनकलेव में भारत के विभिन्न क्षेत्रों से लगभग 250 प्रतिभागियों ने भाग लिया। द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र में दिल्ली की केन्स पाटर्नस की रंजना सिंह ने पेटेंट के व्यवसायीकरण पर अपना उद्बोधन दिया। और उसके विभिन्न विधियों का विवरण किया तथा पेटंेट व्यवसायी करण में शिक्षण संस्थाओं और उद्योग के सहभागिता पर भी जोर दिया कि कैसे दोनो ही इससे लाभान्वित हो सकते हैं।
उन्हीं की सहयोगी डाॅ. ज्योति रामानी ने द्वितीय सत्र में पेटेंट आॅडिट एवं उसके मूल्ंयाकन के बारे में अपने विचार प्रकट किए, कि कैसे उद्योग आई. पी. राईटस से आय कर रहे है, साथ ही मे पेटेंट आॅडिट के मानको एवं प्रक्रिया की विस्तिृत जानकारी उदाहरण एवं केस स्टडी के माध्यम से दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुभाष शर्मा ने किया।