उदयपुर. सुविवि में केन्द्रीय छात्रसंघ चुनाव में कांटे की टक्कर हो गयी है. परम्परागत रूप से एनएसयुआई व एबीवीपी के बीच ही टक्कर है. एनएसयुआई के लिए अध्यक्ष पद के लिए घोषित प्रत्याशी सतीश मीणा के एन मौके पर गायब हो जाने से संकट खड़ा हो गया है. अध्यक्ष की रह एबीवीपी के लिए फिर भी आसान नहीं है. गत वर्ष एनएसयुआई के टिकट पर आर्ट्स कोलेज के अध्यक्ष बने दिलीप सिंह सिसोदिया इस बार केन्द्रीय छात्रसंघ के अध्यक्ष पद के दावेदार है. इस बार टिकट वितरण के लिए एनएसयुआई ने बाकायदा छात्रों से आवेदन मांगे थे. फिर एनएसयुआई की ९ सदस्यीय कमेटी ने टिकट पर विचार कर वितरण किया. कमेटी में करनवीर सिंह, देवेन्द्र राठोड, रिजवान खान, मोईन सिद्दीकी, शंकर चंदेल, कौशल नागदा, धर्मेन्द्र राजोरा, जिलाध्यक्ष गौरव भंडारी, प्रदेश प्रतिनिधि ओर उपाध्यक्ष पद की दावेदार पलकांश राव ओर अजय चौधरी शामिल थे. सूत्रों के अनुसार एनएसयुआई में ही कई धड़े हो गए हैं. दिलीप सिंह सिसोदिया खुद इसी कारण एनएसयुआई के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ना चाहते. एम.बी. कोलेज के अधिष्ठाता दरियावसिंह चुंडावत खुद कांग्रेस संगठन में पदाधिकारी रह चुके हैं. वे अपने पुत्र परमवीर सिंह चुंडावत के लिए एनएसयुआई के टिकट की बात नहीं कर पाए जिससे परमवीर को छात्र संघर्ष समिति के बैनर तले चुनाव मैदान में उतरना पड़ा. इस पुरे घटनाक्रम में एनएसयुआई के जिलाध्यक्ष गौरव भंडारी की राह कठिन हो गयी है. एनएसयुआई के तीनों प्रत्याशियों को जिताकर लाना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है. अगर जीत गए तो उनकी राह में फूल ही फूल होंगे अन्यथा कांटो का सामना करने के लिए भी उन्हें तैयार रहना होगा. किसी समय राव छात्रावास में अपना होल्ड रखने वाले, आज के प्रोपर्टी डीलर कल्याण सिंह राव ने अपनी पुत्री पलकांश को चुनाव मैदान में उतारा है. उसको जिताने में दिन-रात एक किये हैं. जानकारों का मानना है कि इतने धडों को एक साथ लेकर चलना बहुत मुश्किल है. सभी धड़े अपने-अपने प्रत्याशियों को जिताने में लगे हैं. कोई भी मिल कर प्रचार नहीं करना चाहता. जहाँ कांग्रेस देहात अध्यक्ष झाला समर्थक जी-जान से लगे हैं वहीँ वीरेंद्र वैष्णव के समर्थकों ने भी महासचिव पर बागी उम्मीदवार के रूप में पर्वतसिंह राणा को नामांकन भरवा दिया था. बुधवार को नाम वापस लेने की अंतिम तिथि पर किसी ने नाम वापस नहीं लिया.
उधर एबीवीपी हालांकि ऐसी किसी धड़ेबाजी से अब तक तो दूर है, लेकिन चुनाव प्रचार की कमान भाजयुमो के एक मंडल अध्यक्ष को सौंप रखी है जो अपने मिलने-जुलने वाले पत्रकारों से ऊपर ही नहीं आ रहे हैं. एनएसयुआई के इतिहास को भुलाया नहीं जा सकता जब खूबीलाल मेनारिया एनएसयुआई के बागी के रूप में निर्दलीय जीते थे और बाद में राजीव सुहालका एंड ग्रुप के साथ एनएसयुआई का हाथ थाम लिया था. फिर तो एनएसयुआई की चल निकली ओर लगातार गजेन्द्र सिंह चौहान, विनोद पानेरी, अनुराग शर्मा, राधेश्याम राय आदि जीतते रहे. शनिवार को चुनाव होने हैं. सभी ने अपना-अपना दम-ख़म लगा रखा है.