कंपनी में मार्केटिंग, वित्तीय व्यवस्था और कानूनी कामकाज देखने वाले दिनेश बताते हैं कि न्यू भूपालपुरा में जय महाराजा, जयलक्ष्मी, जय गणपति, जय श्रीनाथजी और जय श्रीराम अपार्टमेंट के काम से इतनी सफलता और संतुष्टि मिली कि आगे दो बड़े प्रोजेक्ट का काम हाथ में ले लिया. अभी बडगांव स्थित जय सत्यम, शिवम, सुन्दरम रेजीडेंसी और नवरतन काम्प्लेक्स स्थित जय श्री कृष्णा रेजीडेंसी का काम चल रहा है. बडगांव में टू बीएचके तथा थ्री बीएचके के फ्लेट्स हैं वहीँ नवरतन में सभी थ्री बीएचके के फ्लेट्स हैं. इसके अलावा नवरतन में सभी लक्ज़िरिअस फ्लेट्स हैं. तीन फेज में पूर्ण होने वाले बडगांव के प्रोजेक्ट में प्रत्येक सत्यम, शिवम और सुन्दरम में ४८-४८ फ्लेट्स हैं. इनमें सत्यम के फ्लेट्स का पज़ेशन इसी वर्ष अक्टूबर तक दे दिया जायेगा. फिर मई २०१२ तक शिवम का और अक्टूबर २०१२ तक सुन्दरम के फ्लेट्स का पज़ेशन दे दिया जायेगा. उधर नवरतन में सभी फ्लेट्स करीब १४५० वर्गफीट से ऊपर के हैं. इनका पज़ेशन मई २०१३ तक दे दिया जायेगा. इसके अलावा शीघ्र ही एक नया प्रोजेक्ट लांच करने वाले हैं. इसके बारे में पूछने पर उनका कहना था कि बस, इंतज़ार कीजिये. जल्दी ही आपके सामने भी आएगा. उधर कंपनी में प्रोडक्शन, कंस्ट्रक्शन और सिविल कि जिम्मेदारी सँभालने वाले पंकज बजाज का मानना है कि अगर उपभोक्ता को कम पैसों में अच्छी चीज मिले तो वह क्यूँ नहीं उस तरफ जायेगा. हालांकि मेरा फील्ड वर्क ज्यादा है और ऑफिस वर्क भाई (दिनेश) ही सँभालते हैं लेकिन फिर भी काम सब के मिल-जुलकर करने से ही होता है.
पन्द्रह वर्ष पूर्व राजस्थान में सियाराम कंपनी का काम करने के बाद भी कहीं ना कहीं कुछ अधूरा सा लगा. उसके पहले आइसक्रीम कि एजेंसी का काम देखा लेकिन जन सेवा का जो संकल्प मन में था, वो पूरा होता नहीं लगा. फिर पिताजी के साथ ही इस क्षेत्र में आये दिनेश बताते हैं कि सियाराम का काम राजस्थान और गुजरात में देखता था. पापा (लक्ष्मणदास) मुख्यतः लैंड डवलपमेंट का काम करते थे. फिर जब से मैं और पंकज दोनों इस क्षेत्र में आये तो उन्हें भी सहारा मिला और उन्ही के काम को आगे बढ़ाया. पिताजी अध्यात्म से इतना प्रभावित हैं कि आज भी कोई नया प्रोजेक्ट शुरू करें या पिछले ही देख लें तो हर अपार्टमेंट के नाम के आगे “जय” जरूर मिलेगा.
इतना बड़ा काम-काज संभालने के बाद घर-परिवार को समय? इस पर दिनेश का कहना है कि हालांकि स्टाफ सभी को मिलता है लेकिन हम अपने स्टाफ की बहुत ज्यादा देखभाल करते हैं. उनके समस्या अपनी समस्या मान कर चलते हैं और हरसंभव हल निकलते हैं. क्यूंकि अगर उसका मन समस्या कि तरफ लगा रहेगा तो वो काम में कहीं ना कहीं गडबडी करेगा. स्टाफ हमारा बहुत मजबूत है. हमारी सफलता के पीछे स्टाफ काफी कुछ काम करता है. इसी कारन घर-परिवार को भी पर्याप्त समय दे पाते हैं.