


उदयपुर. भील समाज का लोकप्रिय लोक नृत्य गवरी आयोजन की धूम इन दिनों चरम पर है. यह रक्षा बंधन के बाद से शुरू होता है. प्रति वर्ष यह खेल खेलने का गाँव के लोग संकल्प करते हैं. प्रति वर्ष अलग-अलग गाँवों में खेल लेते हैं ओर फिर अलग-अलग जगह इसका मंचन करते हैं. इस खेल में महिला कलाकार कोई नहीं होती. महिला का किरदार भी पुरुष उसकी वेश भूषा धारण कर निभाते हैं. खेल में डाकू, चोर-पुलिस आदि कई तरह के खेल होते हैं. इन्हें गाँवों में आमंत्रित भी किया जाता है. सोमवार को शहर के गोरेला गाँव में गवरी नृत्य का मंचन हुआ. गाँव के लोगों ने आज बिकने वाला दूध बिक्री के लिए कहीं नहीं भेजा ओर सारे दूध की खीर बनाकर दर्शकों को खिलाई. यह खीर करीब २० क्विंटल दूध की बनी.