झील विकास प्राधिकरण की हो स्थापना
उदयपुर. शहर की झीलों को एक-दूसरे स्थानीय निकाय में स्थानांतरण कर फूटबाल बनाने के बाद शहर के झील हितैषियों में खलबली मच गई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद गत बज़ट में भी झील विकास प्राधिकरण की घोषणा की थी लेकिन अब झीलों को नगर परिषद को स्थानांतरित करने की बात कही जा रही है जो किसी तरह झीलों के हक में नहीं है. ये तथ्य झील सरंक्षण समिति और डॉ. मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित संवाद में उभर कर आये. वक्ताओं ने कहा कि फुटबाल बनाने के बजाय झीलों को प्राधिकरण की स्थापना कर उसे सौंप दिया जाये. झीलों और उनके जलग्रहण क्षेत्र सहित समग्र सरंक्षण के लिए प्राधिकरण की स्थापना अत्यंत जरूरी है. वक्ताओं ने कहा कि विशेषज्ञता युक्त, समुचित प्रशासनिक कानूनी और वित्तीय अधिकारों से पूर्ण प्राधिकरण से ही झीलों का सरंक्षण संभव है. संवाद में डॉ. तेज राजदान, अनिल मेहता, नन्द किशोर शर्मा, चांदपोल नागरिक समिति के तेज शंकर पालीवाल, ज्वाला जन जाग्रति संस्थान के भंवर सिंह राजावत, झील हितैषी नागरिक मंच के हाजी सरदार मोहम्मद आदि मौजूद थे.