अंतर राष्ट्रीय पर्यटन दिवस पर विशेष
सतरंगी रंगों से सजा राजस्थान सैलानियों को अपने जादुई सम्मोहन से सदियों से आकर्षित करता रहा है. पामणों (मेहमानों) को बुलाते हुए नीति वाक्य ‘‘पधारो म्हारे देस’’ पर्यटन का अहम संदेश बन गया हैं।
गुलाबीनगर जयपुर, झीलों की नगरी उदयपुर, रेतीले धोरों के आकर्षण से बंधा जैसलमेर सहित यहां का प्रत्येक नगर अपनी कुछ न कुछ विशेषता लिए है. श्रीनाथजी नाथद्वारा, ब्रहमाजी पुष्कर, सावरियां सेठ सावलियाजी, सालासर, जीणमाता, श्रीकेशरियाजी, रणकपुर, देलवाडा, चॉंदखेडी, ख्वाजा साहब की दरगाह अजमेर, रामदेवजी रामदेवरा, त्रिपुरा सुन्दरी बांसवाडा जैसे धार्मिक स्थल विभिन्न धर्मावलम्बियों के लिए धार्मिक पर्यटन के मुख्य केन्द्र हैं।
सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन करते यहां के तीज-त्यौहार व मेले भी आने वाले सैलानियों को अपने आकर्षण में बांधते हैं। जयपुर की तीज एवं गणगौर, हाथीपोलो, उदयपुर का मेवा$ड उत्सव एवं भगवान जगदीशजी की रथयात्रा, डूंगरपुर में आदिवासियों का बेणेश्वर मेला, पुष्कर का मेला, अजमेर में विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का उर्स, रामदेवरा मेला, रणथम्भौर का गणेश मेला, राणी सती का मेला, श्यामबाबा खाटू मेला, कोटा का दशहरा मेला, नागोर का पशुमेला, बीकानेर एवं जैसलमेर का ऊँट उत्सव जैसे आयोजन में विदेशी सैलानियों की अच्छी भागीदारी देखी जाती हैं.
यहां की समृद्घ लोक कला की थाती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता हैं कि प्रदेश के अनेक लोक कलाकारों ने सात समन्दर पर विदेशों में अपनी कला का प्रदर्शन करने का गौरव प्राप्त किया हैं। यहां की नृत्य कला, लोक वाद्य, लोक नाट्य एवं लोकानुरंजन के अन्य माध्यम भी पर्यटन विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राजस्थान के अंचलों में रहने वाले आदिवासियों की जीवन शैली से भी सैलानी प्रभावित होते हैं।
उदयपुर के संदर्भ में देखे तो उतंग पर्वतमालाओं के चरण पखारती झीलों का सौन्दर्य, राजप्रासाद, देवालय, रमणीक उद्यानों के साथ-साथ गिरि मेखलाओं से घिरा सम्पूर्ण परिवेश सैलानियों के लिए राजस्थान में आकर्षण की महत्वपूर्ण धुरी हैं। उदयपुर शहर में ही जहां पर्यटकों के लिए अनेक दर्शनीय स्थल हैं वहीं आस-पास हल्दीघाटी, कुंभलगढ, एकलिंगजी, श्रीनाथजी, जयसमन्द व राजसमन्द झीलें, श्रीकेशरियाजी, चारभुजाजी, जगत का अंबिकादेवी मंदिर आदि कई ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व के पर्यटक स्थल दर्शनीय हैं.
पर्यटकों को मूलभूत सुविधाओं के विकास के साथ-साथ उनकी सुरक्षा व सहायता के लिए पर्यटन विभाग में पर्यटक सहायता बल का गठन किया गया हैं. पर्यटन विभाग ने अपने वेब पोर्टल पर राजस्थान की विशेषताओं को कई देशों की भाषाओं में उपलब्ध कराया हैं. ग्रामीण पर्यटन को बढावा देने की दिशा में भी प्रयास शुरु किए गए हैं.
-प्रभात कुमार सिंघल
udaipurnews