उदयपुर. राज नेता के साथ कुशल प्रबंधक का दायित्व निभाते हुए वित्तीय वर्ष 2010-11 में बैंक को कमजोर श्रेणी से उभार कर सामन्य श्रेणी में लाने का श्रेय जाता है उदयपुर जिला सहकारी भूमि विकास बैंक लि. के अध्यक्ष मथुरेश नागदा को. ग्रामीण परिवेश से राजनीति में आये नागदा को जब वित्तीय जिम्मेदारी सँभालने को कहा गया तो उन्होंने राजनीति की तरह वहां भी अपने झंडे गाड़ दिए.
बैंक संचालक मंडल के गठन के दो वर्षों में वर्ष 2009-10 में 26.42 प्रक्तिशत तथा 2010-11 में 31.15 प्रतिशत वसूली की गई. सहकारी विभाग की एक मुश्त समझौता योजना के तहत 200 किसानों को 102.50 लाख रुपये की रहत दी गई. मृतक के मामले में कर्जदार की मृत्यु होने पर उस तिथि से ब्याज में पूर्ण राहत प्रदान की गई.
इश प्रकार दो वर्षों में विव्भिन्न उद्देश्यों के लिए करीब 10 करोड रुपये का क़र्ज़ वितरण किया गया. महिला विकास योजना में 82 सदस्यों को 35.37 लाख तथा महिलाओं के 201 सदस्यों को 308.61 लाख रुपये का क़र्ज़ वितरण किया गया. दूर-दराज़ क्षेत्र में कृषि विकास हेतु दीर्घ कालीन क़र्ज़ वितरण कर किसानो को लाभान्वित किया गया.
संगठन व सामाजिक कार्य
इससे पहले नागदा 1975-77 तक युवा कांग्रेस से अध्यक्ष रह चुके हैं. 1978-81 तक जिला कांग्रेस के संयुक्त सचिव और वर्ष 2002 से अब तक जिला कांग्रेस में सचिव रहे हैं. वे राजस्थान केडर कांग्रेस के प्रशिक्षित सदस्य भी हैं. सामाजिक उपलब्धियों में उनके खाते में नागदा युवक समाज के अध्यक्ष और सर्व ब्राह्मण महासभा के जिलाध्यक्ष पद शामिल हैं.
राजनीतिक जीवन
वर्ष 1982-85 तक सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के निदेशक रहे. 1981-87 तक सीसारमा ग्राम पंचायत के उप सरपंच रहे. फिर 1985-88 तक सहकारी समिति सीसारमा लेम्प्स के अध्यक्ष रहे. 1995-2000 तक गिर्वा पंचायत समिति सदस्य रहे. 1997-2001 तक सहकारी भूमि विकास बैंक के चेयरमैन रहे. वर्तमान में 2009 से इसी बैंक के चेयरमैन हैं. एक विशेष उपलब्धि उनकी राजस्थान राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक लि. जयपुर के निदेशक चुना जाना रहा है.