उदयपुर (udaipurnews). बुधवार को रामनवमी पर सूर्यास्त से ठीक पूर्व सिटी पैलेस में शहनाई गूंजी और बैंडबाजों पर रजवाड़ी गीतों की धुन पर शाही बग्घी में सवार अरविंद सिंह मेवाड़ माणक चौक पहुंचे जहाँ उन्होंने परंपरानुसार अश्व पूजन किया. इससे पहले मेवाड़ के चुनिंदा अश्वपालकों को अश्वों की जानकारी देने के लिए विशेष कार्यशाला भी हुई. दशहरे की पूर्व संध्या पर अश्व बल को सम्मान देने के लिए उनके पूजन की परंपरा शुरू हुई. पारंपरिक पहनावे में नागरिकों के साथ विदेशी मेहमान भी आमंत्रित थे.
राजपरिवार के पुरोहित, कर्मांत्री और ज्योतिषियों ने नख-शिख आभूषणों, कांठी, सुनहरे छोगों, मुखभूषण, लगाम आदि से सज्जित पांच अश्वों राजतिलक, राजरूप, तरंगिणी, अश्वराज और राजस्वरूप को पायगा की हथणी की नाल तक लाने का आह्वान किया। ठुमकते हुए अश्व पूजन स्थल पर पहुंचे। यहां राजसी वेश में मौजूद फाउण्डेशन के अध्यक्ष अरविंद सिंह मेवाड़ ने अक्षत, कुंकुम चढ़ाते हुए अश्वों की आरती की। नए आभूषण, वस्त्रादि अर्पित किए और आहार देकर ज्वार धारण करवाई।
मेहमानों ने अरविंद सिंह को नजराना पेश किया। उन्होंने बैंड वादकों, पैलेस टुकड़ी की सलामी भी ली। इसके अलावा समारोह में 12 अन्य घोड़े भी लाए गए। समारोह में अरविंद सिंह के सुपुत्र लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ सहित पूर्व ठिकानेदार भी थे. सुबह 10 बजे मेवाड़ी अश्वों की नस्ल पर जानकारी देने हेतु कार्यशाला हुई. कार्यशाला को कलड़वास के ठाकुर सत्येन्द्र सिंह चावड़ा ने संयोजित किया.
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