जगजीत सिंह की स्मृति में गज़ल संध्या
udaipur. चिट्ठी न कोई संदेस, जाने तुम गए कौनसे देस, कहाँ तुम चले गए…. जब सर्द रात में श्रोताओं ने जगजीत सिंह की उक्त गज़ल सुनी तो वे हाथ खोले बगैर नहीं रह सके. मौका था शनिवार रात जगजीत सिंह की स्मृति में सुखाडिया विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में आयोजित गज़ल संध्या का. गज़ल संध्या में उदयपुर के गज़ल गायक डॉ. प्रेम भंडारी, देवेन्द्र हिरन और पामिल भंडारी मोदी ने प्रस्तुतियाँ दी. करीब ढाई घंटे के कार्यक्रम में सैंकडो दर्शक पूरे कार्यक्रम में मौजूद रहे. कार्यक्रम में डॉ. भंडारी ने जगजीत सिंह की फ़िल्मी और नॉन-फ़िल्मी अल्बम्स से कई गज़लें प्रस्तुत की वहीं देवेन्द्र हिरन ने जगजीत की प्रमुख चिट्ठी न कोई संदेस… गाकर उन्हें आत्मसात करने का प्रयास किया.
पामिल ने तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो…शुरू की जिसमें हिरन ने भी सहयोग दिया. प्रस्तुत ग़ज़लों में उस मोड से शुरू करें यह जिंदगी..झुकी-झुकी सी नज़र… होश वालों को खबर क्या…चौदवीं की रात है… आदि प्रमुख रही. अंत में आलोक संस्थान के निदेशक डॉ. प्रदीप कुमावत महाराणा प्रताप पर निर्मित फिल्म में डॉ. भंडारी ने अपनी लिखित और जगजीत सिंह की आवाज़ में रिकॉर्ड गीत याद आएगा.. बात खुद्दारी की दुनिया को सिखाने वाला… प्रस्तुत की. कार्यक्रम माँ सञ्चालन आकाशवाणी के इन्द्रप्रकाश श्रीमाली ने किया.
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