उदयपुर. झीलों की नगरी udaipur में झीलों की यह दुर्दशा देख कर लगता है कि यहाँ के लोगों को झीलें भर जाने और भरे रहने की कोई खुशी नहीं है. जब तक झीलें भरी नहीं थी, तब तक न जाने कितने लोगों ने कितनी ही मन्नतें मांगी थी, लेकिन अब झीलों में गन्दगी डालना आम बात हो गई है. यही नहीं, सम्बंधित विभागों के तहत आने वाले शहर के फव्वारों के हालात भी कुछ ऐसे ही हैं. उधर झीलों से जलीय घास निकालना भी जरुरी है अन्यथा इस क्षेत्र से बदबू के मारे गुजरना भी दूभर हो जाता है. क्या उदयपुर वासियों की नींद तभी उड़ेगी जब झीलें खाली हो जायेंगी? फिर झीलें भरने को लेकर मन्नतों का दौर चालू होगा….
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