udaipur. जिस प्रकार गांवों में बनिया, बोहरा अथवा सिन्धी काका अपनी छोटी सी दुकान में आटा, दाल, नमक,मिर्च-मसाला केरोसिन, तेल-घी, गुड़ शक्कर आदि से लेकर शुभ कार्य आरम्भ करने के काम में आने वाले पूजा-पाठ के सामान हो या नन्हें-मुन्ने बच्चों के लिए टाफियां हो या फिर ग्रामीण आदिवासियों के पहनने ओढऩे से लेकर घर में कचरा निकालने तक झाडू रखकर न केवल गरीब ग्रामीणों की जरूरत की सभी चीजें रखकर उनकी आवश्यकता की पूर्ति कर गांव का सेठ-साहूकार कहलाता है बल्कि टूटी-फूटी झोंपड़ी में जिन्दगी गुजारने वाले गरीब ग्रामीणों के परिवार में होने वाले शादी-ब्याह से लेकर मौत-मरघट और घर बनाने तक में गांव का बनिया बोहरा अथवा सिन्धी काका उधार देकर आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए हरदम तैयार रहता है.
ठीक इसी तरह कुछ वर्षों से शहरों में कॉलोनियों के अन्दर कुछ ऐसे अधिक चालाक लोग ज्योतिष के नाम पर धड़ल्ले से अपना धन्धा चलाकर न केवल मध्यमवर्गीय समाज की भोली-भाली गृहिणियों एवं पीडि़त लोगों को मूर्ख बना रहे हैं बल्कि आलीशान कोठियां खड़ी कर रहे हैं। जिस तरह पहले सफेद धोती-कुर्ता पहने माथे पर तिलक एवं गले में नकली रुद्राक्ष की माला पहन सदाचारी ब्राह्मण पूजा-पाठ कर अपना जीवन यापन करते थे लेकिन आज की इस इक्कीसवीं सदी में कुछ ऐसे चालाक किस्म के लोग पेन्ट, बुशर्ट, गले में मोटी सोने की चेन पहिने कार में बैठकर यजमान के यहां पूजा-पाठ करने जाते हैं और पीडि़तों के परिवार में अशान्ति, पुत्र-पुत्री के सम्बन्ध एवं शादी-ब्याह आदि में विलम्ब होना, घर से भागकर गई लडक़ी का पता नहीं लगना या फिर कोई और पारिवारिक संकट अथवा संतान न होना, लम्बे समय से रुके पड़े कार्यों के होने में विलम्ब होना, नौकरी नहीं लगना अथवा ट्रांसफर पर नहीं जाना आदि समस्याओं का हल निकालने के लिए कुंडली आदि देखने का कार्य बंगले के बाहर बोर्ड पर लिखे निर्धारित समय के अनुसार मिलते हैं। बिना पूँजी का यह धन्धा आजकल छोटे-बड़े सभी शहरों में खूब फल-फूल रहा है.
ऐसे ही एक कथित तांत्रिक एवं ज्योतिषाचार्य उदयपुर की पॉश कॉलोनी अशोक नगर के मध्य स्थित उपासरे के नाम से बनी आलीशान कोठी में एक सप्ताह उदयपुर, एक सप्ताह मुम्बई, एक सप्ताह बेंगलुरू और एक सप्ताह चेन्नई में बैठकर लोगों की कुंडलियां देखकर भविष्य बताते हैं. आश्चर्य की बात यह कि ऐसे हाई-टेक एवं हाई-प्रोफाइल ज्योतिष के रुप में अपने कथित त्यागमयी गृहस्थ जीवन से अधिकारियों, राजनेताओं और संतों को विशेष अवसर पर अपने यहां आमंत्रित कर हर समय अपने व्यक्तित्व से प्रभावित करने के प्रयास में लगे रहते हैं.
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nikhil