परम्परागत एवं आधुनिक चित्रकला कार्यशाला का समापन
udaipur. शिल्पग्राम में आयोजित पांच दिवसीय चित्रकला कार्यशाला आज विधिवत सम्पन्न हुई। इसमें कई अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के चित्रकारों ने केनवास पर रंगों से कल्पनाओं को चित्रों में साकार किया। चित्रों की विशेषता रही कि उनमें जहां राजस्थानी परम्परागत शैली के चित्रो को उकेरा गया वहीं आधुनिक चित्र शैली के चित्रों को भी आकर्षक रुप में बनाया गया.
चित्रों में विरह, मिलन, संवेदना, राधा-कृष्ण की विभिन्न भावों में अभिव्यक्ति, ब्रह्मदेव, गोतम बुद्ध, गणेश, शिव तथा श्रीनाथजी की पोर्ट्रेट आकृतियों के साथ-साथ ईरानी लघु चित्रण, पहा$डी, हिमाचल, कांगडा, तंका शैली पर आधारित चित्र देखते ही बनते थे। चित्रों में मानवजीवन के विभिन्न पहलुओं के साथ-साथ पशु -पक्षी एवं प्रकृति का चित्रण और रंगों का संयोजन चित्रों की विशेषता रही।
परम्परागत राजस्थानी चित्रकला एवं आधुनिक चित्रकाला के परिदृश्य विषय पर कार्यशाला का आयोजन मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के दृश्य कला विभाग द्वारा जवाहर कला केन्द्र जयपुर तथा पश्चिमी सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर के तत्वावधान में किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन जिला कलक्टर हेमन्त कुमार गेरा ने कर चित्रकारों का उत्साहवर्धन किया वहीं आज आयोजित समापन पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. आई. वी. त्रिवेदी ने की। उन्होंने आशा जताई कि ऐसे शिविर से लघु चित्रकला को नई दिशा मिलेगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयन्ती वर्ष के उपलक्ष में चित्रकारों का समापन भी किया जायेगा।
विशिष्ठ अतिथि प्रो. शरद श्रीवास्तव के साथ जवाहर कला केन्द्र के निदेशक हरसहाय मीणा ने कला संरक्षण एवं संवद्र्घन के लिए विश्वविद्यालय के सहयोग से एक स्थायी मंच बनाने की बात कहीं जिसका सभी करतल ध्वनि से स्वागत किया। कला मर्मज्ञ के रुप में डॉ0 धर्मवीर वशिष्ठ, कला समीक्षक मंगलेश डबराल ने भी अपने विचार व्यक्त किये. अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किये गये तथा प्रतिभागी हिमाचल के प्रमुख चित्रकार विजय शर्मा ने कार्यशाला के अनुभव बताये. संचालन डॉ. मीराकुमार एवं डॉ. सुरजराव ने संयुक्त रुप से किया.
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