न तो चैम्बर और न खुदरा व्यापार संघ के पदाधिकारी आए बंद कराने
भाजपा समर्थन के बलबूते रहा बंद
udaipur. देसी दुकानों में विदेशी निवेश को केन्द्र सरकार की मंजूरी के विरोध में आहूत भारत बंद के तहत उदयपुर बंद भी सफल रहा. हालांकि दोपहर 3 बजे बाद धीरे-धीरे दुकानें खुलनी शुरू हो गई थीं। शाम तक काफी दुकानें खुल भी चुकी थीं।
आश्च र्य की बात यह रही कि बंद का आह्वान उदयपुर में चैम्बर ऑफ कॉमर्स उदयपुर डिवीजन और खुदरा व्यापार संघ ने किया बताते हैं लेकिन आज बंद कराने के दौरान दोनों संगठनों के कोई पदाधिकारी बाजार में नहीं दिखाई दिए। दोपहर में खुदरा व्यापार संघ के इक्का-दुक्का् व्यापारी दिखे लेकिन महज औपचारिकता के लिए। भाजपा के पदाधिकारी ही बंद कराते नजर आए।
इससे पूर्व सुबह स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों में जरूर आपा-धापी रही कि स्कूल बंद है या नहीं. कुछ स्कूलों ने अपने स्तर पर छुट्टी की घोषणा कर दी थी लेकिन कई जगह असमंजस था. कहीं बसों और ऑटो के नहीं आने पर छुट्टी का अंदाजा लगाया गया तो कहीं स्कूल में फोन कर पता लगाया गया. बच्चों को एक दिन की छुट्टी मिल गई वहीं व्यापारियों ने स्वतः स्फूर्त बंद रखा. सुबह से दुकानें ही नहीं खुली। दोपहर में अवश्य चाय, नाश्ते की थडियां खुलनी शुरू हुई फिर बाद में धीरे-धीरे अन्य दुकानें भी खुलीं। मौसम में ठंडक के कारण चाय की थडियों पर लोगों की भीड़ रही तो युवा गरमा गरम नाश्ते का लुत्फ़ उठाने से भी नहीं चूके.
सुबह से दुकानें स्वतः ही नहीं खुली. ऑटो, टेम्पो चलते रहे. चिकित्सा सेवाएं बंद से अप्रभावित रही. गली-मोहल्ले में इक्का-दुक्का दुकानें जरूर खुली। बंद का व्यापक असर रहा। बैंकों, बीमा कार्यालयों में बंद का पूरा असर दिखा। सहेलियों की बाड़ी स्थित एसआईईआरटी कार्यालय खुला देखकर वहां दरवाजे का एक शीशा तोड़ दिया गया। निजी व सरकारी कार्यालयों को बंद कराया गया। दिन भर आपा-धापी से भरपूर रहने वाली धानमण्डी में भी बंद का खासा असर रहा। दुकानें बंद होने से बच्चे दिन भर गली-मोहल्लों में खेलते रहे। कोई साइकिल चलाने में तो कोई क्रिकेट खेलने में व्यस्त- रहा।
भाजपा महिला मोर्चा की पदाधिकारी कोर्ट में भी नारेबाजी करते हुए पहुंची जहां वकीलों से न्यायिक कार्यों का बहिष्कार कराया गया. बार सचिव मनीष शर्मा ने बताया कि बार एसोसिएशन के आव्हान पर अधिवक्ताओं ने खुदरा व्यापार में विदेश निवेश का विरोध करते हुए न्यायिक कार्य नहीं किये हालांकि इससे पेशी पर आने वाले लोगों को परेशानी हुई. माकपा के जिला सचिव बी. एल. सिंघवी के नेतृत्व में शहर में कई जगह नुक्कड़ सभाएं हुई जहां खुदरा में विदेशी निवेश से होने वाली हानियों पर प्रकाश डाला गया।
चर्चा में रहा संघों का नहीं आना
अखिल भारतीय उद्योग और व्यापार मंडल के भारत बंद के आव्हान को चेंबर ऑफ कॉमर्स उदयपुर डिविज़न और खुदरा व्यापार संघ ने समर्थन दिया था जिसको भारतीय जनता पार्टी ने भी पूरा समर्थन दिया था। दिन भर यह चर्चा का विषय रहा कि जिस चैम्बर ऑफ कॉमर्स उदयपुर डिवीजन और खुदरा व्यापार संघ ने देशव्यापी बंद का समर्थन करते हुए यहां भी बंद कराने का आह्वान किया था, उन्हीं के पदाधिकारी सुबह से नजर नहीं आए। भाजपा पदाधिकारियों में भी रोष था कि वे अपने कामकाज छोड़कर यहां पार्टी के समर्थन में आए लेकिन मेहमान को बुलाया और मेजबान ही गायब हो गए की कहावत को चरितार्थ करते हुए मेजबानों में से ही कोई नहीं दिखा। उल्लेयखनीय है कि चैम्बर ऑफ कॉमर्स उदयपुर डिवीजन के अध्यंक्ष भाजपा पार्षद के साथ सक्रिय कार्यकर्ता भी हैं। किसी समय में भाजपा नेता कटारिया के खास समर्थकों में गिने जाते रहे हैं।
ये रहे सक्रिय
भाजपा जिलाध्यक्ष दिनेश भट्ट, पार्टी नेता मांगीलाल जोशी, प्रमोद सामर, युधिष्ठिर कुमावत, प्रवक्ता चंचल अग्रवाल, किरण जैन, सभापति रजनी डांगी, अर्चना शर्मा आदि सूरजपोल पुलिस चौकी के पास बनाये गए नियंत्रण कक्ष पर पहुँच गए और बंद की रणनीति तय कर अलग-अलग क्षेत्रों में बंद कराने के लिए कार्यकर्ता भेजे. शास्त्री सर्कल क्षेत्र में जरूर सुबह कुछ कार्यालय खुले रहे जिन्हें बाद में बंद करा दिया गया.
देहात जिला भाजपा प्रवक्तान विरेन्द्रसिंह सोलंकी के अनुसार चावण्ड, सराड़ा, मावली, फतहनगर, गोगुंदा, कुराबड़, कानोड़ सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी बंद पूर्ण सफल रहा। बंद की सारी व्यवस्थाएं जिलाध्यक्ष सुंदरलाल भाणावत, रोशनलाल जैन, चन्द्रगुप्तसिंह चौहान आदि ने संभाली।
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