वृंदा करात ने केन्द्र सरकार को नाकारा बताया
आदिवासियों के अधिकारों के संघर्ष के लिए आमसभा
udaipur. आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच की केन्द्रीय कमेटी की उदयपुर में हो रही बैठक के दूसरे दिन टाउन हॉल में हुई आमसभा में आर-पार के संघर्ष का ऐलान किया गया।
आम सभा को सम्बोधित करते हुए माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य व पूर्व सांसद वृन्दा करात ने कहा कि केन्द्र सरकार के मानसिक दिवालियेपन का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा कि केन्द्र सरकार खुद कह रही है कि विदेशी किराणा की दुकानें देश में खोलने पर ही महंगाई कम होगी। क्या केन्द्र सरकार इतनी नाकारा हो गई है? करात ने कहा कि खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की स्वीकृति देने को घातक कदम बताते हुए कहा कि ये मल्टीनेशनल कम्पनियां केवल अपने फायदे की बात सोचती हैं। उसे जनता के दुखदर्द से कोई लेना देना नहीं है, इसलिए केन्द्र सरकार को अपने इस कदम को वापस लेना चाहिये।
करात ने आदिवासी अधिकारों की लड़ाई का उल्लेख करते हुए कहा कि आदिवासी महिलाओं के हाथ में संघर्ष का झण्डा उनकी जीत की तरफ इशारा है। हर आदिवासी औरत में खून की कमी जरूर है, लेकिन हिम्मत की कमी नहीं है। वृन्दा ने भंवरी प्रकरण पर राज्य सरकार के मूकदर्शक बने रहने की आलोचना करते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी द्वारा गरीब मेहनतकश जनता को भिखारी बताने की भी निन्दा की। करात ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की सरकार पूंजीपतियों की एजेन्ट बन महंगाई बढ़ा आम जनता पर कहर ढा रही है। कारात ने गोगुन्दा क्षेत्र में कथित सामंतवाद का उल्लेख करते हुए कहा कि लाल झण्डे को मजबूत करके सामंतवादी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकेगा। यह लड़ाई सिर्फ एक इलाके की नहीं है, बल्कि देश के कई इलाकों में यही हाल है।
सभा को आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच के सभाध्यक्ष एवं सात बार से सांसद बाजूबन रियांग, त्रिपुरा के उद्योग एवं वन मंत्री जीतेन्द्र चौधरी, लालगढ़ (पश्चिम बंगाल) के सांसद पुलीन वास्की ने भी सम्बोधित किया।
माकपा जिला सचिव बी. एल. सिंघवी ने कहा कि उदयपुर को दुनिया में झीलों की नगरी के नाम से जाना जाता है, लेकिन वास्तविकता में यह भीलों की नगरी है, जिसने इस खुबसूरत शहर की ईमारतों, झीलों, किलों का निर्माण किया है। आज उसी आदिवासी को जानवरों के संरक्षण के नाम पर उनके पुश्तैनी कब्जों से बेदखल करने का प्रयास किया जा रहा है जो आदिवासी समूदाय कतई बर्दाश्त नहीं करेगा, वह अपनी जान दे देगा, लेकिन कब्जा नहीं छोड़ेगा। आमसभा की अध्यक्षता देवीलाल कटारा, नन्दलाल मीणा, चन्दालाल भूरिया, उदयलाल मीणा ने की।
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