लोक तंरग में दिखी कलाएं, लावणी ने रंग जमाया
udaipur. पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव—2011 के छठें दिन रंगमंच पर लोक तरंग में देश के आधा दर्जन राज्यों की लोक कलाओं से रंगमंच तरंगित हो उठा। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल का पुरूलिया छाऊ, पंजाब का भांगड़ा तथा महाराष्ट्र के लावणी ने अपना रंग जमाया।
रगमंच ‘‘कलांगन’’ पर कार्यक्रम की शुरूआत नागोर के ख्याल कलाकारों के गायन से हुई इसके बाद बाड़मेर के गैर नर्तकों ने ढोल पर डंडों की टंकार से वातावरण में उत्साह का संचरण किया। महाराष्ट्र के दाण पट्टा व शब्दभेद कार्यक्रम की रोचक प्रस्तुति बन सकी। लोक वाद्य तुरही व ढोल ताशों पर कलाकारों ने आग्नि से कलाबाजियां दिखाई वहीं एक कलाकार ने तलवार की धार से आलू काटने का करतब दिखा कर दाद बटोरी। इन्हीं कलाकारों ने शब्दभेद में एक नारियल को दर्शकोंं के बीच भेज दिया तथा बाद में आंख पर पट्टी बांध कर एक अन्य कलाकार ने उसे खोज निकाला।
लोक गायक गाजी खां मांगणियार ने इस अवसर पर लहरिया सुनाया। कार्यक्रम में पंजाब से आये मुण्डों ने फसल कटाई के मौके पर किया जाने वाला भांगड़ा नृत्य किया। भांगड़ा में नर्तकों की स्फूर्ति ने दर्शकों में जोश सा भर दिया। पश्चिम बंगाल से आये कलाकारों ने इस अवसर पर पुरूलिया छाऊ पेश किया जिसमें उन्होंने महिषासुर मर्दिनी का प्रसंग दर्शाया। प्रसंग में चमकीले वस्त्र और मुखौटा धारण किये राक्षसों ने मंच पर खूब धमाल मचाई जिनका देवी ने संहार किया।
कार्यक्रम में महाराष्ट्र का लावणी मोहक प्रस्तुति बन सकी। लावणी में पहल भजजन और बाद में मुजरा पेश किया गया जिसमें नर्तकियों की भंगिमाएं व अदाएं मोहक बन सकी। भपंग वादक जुम्मे खां ने अपनी शेरो शायरी तथा अर्थी व डोली सुना कर वाहवाही लूटी। उन्होंने भपंग वादन के अनूठे ढंग से दर्शकों की दाद लूटी। कार्यक्रम में ही डांगी आदिवासियों का नृत्य व सिद्दि धमाल को दर्शकों ने पसंद किया।
हाट बाजार में खरीददारी का जोर
हाट बाजार में बिकने वाली वस्तुओं की तरफ देखा गया। उत्सव के छठवें दिन हाट बाजार में आगंतुकों का जोर खरीददारी की ओर रहा। कला और शिल्प के इस वार्षिक उत्सव में आने वाले लोग खरीददारी पर केन्द्रित नजर आये। सोमवार को हाट बाजार में विभिन्न दुकानों पर खरीददारों की रेलमपेल रही। दर्पण बाजार में कला विहार के समीप बैठे शिल्पकार दिन भर मृदा से निर्मित कलात्मक पॉट्स पर कलर करते नजर आये। पॉट्स के साथ ही ड्राइंगरूम में सजाने लायक तबले की जोड़ी है जिस पर शिल्पकार ने वादक कलाकार बिठाये हैं। शिल्पग्राम के मुख्य रंगमंच के समाप बने बाजार में सहारनपुर के फर्नीचर के प्रति लोग लालायित नजर आये। इस पर पुरानी स्टाइल का टेलिफोन, नक्काशीदार टेबल, सोफा सैट, सेन्टर टेबल यहीं एक स्टॉल पर सजावटी लैम्प शेड जिसमें लगे रंगबिरंगे बल्बों ने खूबसूरत छटा बिखेरी हुई है।
वस्त्र संसार में बेडशीट, बेडकवर, कुशन कवर, दरिया, वूलन कारपेट, सूती कारपेट, चिन्दी कारपेट, कार सीट कवर आदि की लोगों ने खरीददारी की। यहीं पर गर्म व ऊनी वस्त्र की दूकानों पर भी लोगों की खासी भीड़ रही। इनमें कश्मीरी व कच्छी शॉल, अंगोरा के शॉल, चिकन कारीगरी के बने परिधान के प्रति लोगों का रूझान देखा गया। हाट बाजार में खरीददारी में मशगूल लोगों ने विभिन्न फूड स्टॉलों पर अमरीकन भुट्टे, पाइएपल स्लाइस, फ्रेश आइसक्रीम, केसर दूध, जलेबी, चना जार गरम, भेल, आदि के साथ उदर क्षुधा शांत की। शिल्पग्राम परिसर में ही आगंतुकों ने ऊँट की सवारी, घुड़सवारी पर उत्सव के लिये सजे हाट बाजार का नजारा देखा। शाम ढलने के साथ ही बड़ी संख्या में लोग शिल्पग्राम पहुंचे व खरीददारी की व मेले का आनन्द उठाया।
झोंपडिय़ां भी देखी लोगों ने
शिल्पग्राम उत्सव में आने वाले लोगों का ध्यान लिपाई पुताई व माण्डणो से अलंकृत झोपडिय़ों की ओर भी जाता है तथा लोग शिल्पग्राम में बनी रामा गांव के बुनकर की झोपड़ी, सम गांव के ब्राह्मण की झोंपड़ी, कच्छ के बन्नी क्षेत्र के हरिजन व रेबारियों की शंकुआकार की झोपडिय़ो व इनमें बैठे शिल्पकारों से बतियाते नजर आये।
शिल्पग्राम में आने वाले विदेशी पर्यटकों के लिये शिल्पग्राम का नजारा किसी कौतूक से कम नहीं है। वे शिल्पग्राम के पारंपरिक स्थापत्य तथा यहां की कलात्मक गतिविधियों को न केवल अपने कैमरों में कैद करते अपितु कलाकारों से बात चीत करते उनके साथ नाचते व गाते हैं।
आज ‘‘उड़ान’’ : सातवें दिन मंगलवार को उत्सव में ‘‘उड़ान का आयोजन होगा जिसमें एबिलिटी अनलिमिटेड फाउण्डेशन पाशा दल की व्हील चेयर पर भरतनाट्यम, योगा, रामायण आकर्षण का केन्द्र होगा।
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