युवा ही कहा जा सकता है उन्हें। उम्र भले ही 55 वर्ष हो गई थी लेकिन उनके जोश में कहीं भी उम्र का झलकाव नहीं दिखता था। जी हां राजेन्द्रसिंह कच्छावा। उन्हें पहली बार गोवर्धन विलास स्थित लूना मोपेड के शोरूम में देखा था जब वर्ष 1990 में बडे़ भैया के लिए लूना लेने गए थे। बडे़ हंसमुख मिजाज और जिन्दादिल इंसान..। समय के साथ भले ही गाडि़या बदलती रहीं, राजेन्द्रजी भी गाडि़यां चेंज करके अपने शोरूम में लाते रहे और उदयपुरवासियों को नई-नई गाडि़यां दिलाते रहे। चन्द्रा टोयोटा में आए तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद चन्द्रा हुंडई भी खोला और सफलतापूर्वक चलाया। कच्छावा और उनकी पत्नी का अंतिम संस्कार सोमवार शाम किया गया। इस दौरान भी उदयपुर के कई गणमान्या मौजूद थे। रविवार रात जयपुर से उदयपुर लौटते समय हादसे में उनकी इनोवा देबारी के निकट डिवाइडर से टकराकर पलट गई और दूसरी साइड से आ रहे ट्रोले से टकरा गई। दंपती की मौके पर ही मृत्यु हो गई। साथ में दोनों बेटियां कुमुद और पूजा घायल हो गई जिन्हें बाद में 108 एम्बुलेंस ने अस्पताल पहुंचाया। मूलत: जोधपुर निवासी राजेन्द्रसिंह काफी समय से उदयपुर में ही रह रहा था। उन्होंने अपने भाई लालसिंह के साथ गिनीज बुक ऑफ द वर्ल्डं रिकार्ड में भी अपना नाम दर्ज कराया था।
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