मैट्रिक्स प्रयोगशाला और इसके अनुप्रयोग
udaipur. कम्यूटर सोसायटी ऑफ इण्डिया और सुविवि के कंप्यूटर केंद्र की ओर से विज्ञान भवन में आयोजित मेटलेब कार्यशाला एवं इसके अनुप्रयोग के पांचवे दिन बुधवार को सूरत के इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी कॉलेज की प्रो. मीता ने डिजिटल वाटरमार्किंग पर व्याख्यान दिया। उन्हों ने बताया कि डिजिटल वॉटरमार्किंग डिजिटल मल्टीमीडिया सामग्री में प्रतिलिपि अधिकार की रोकथाम और नियंत्रण सहित प्रयोजनों की एक जानकारी है। वॉटरमार्किंग तकनीक का विकास और व्यावसायीकरण अनुसंधान के सक्रिय और महत्वपूर्ण क्षेत्र में मदद करने में काफी महत्वपूर्ण साबित हुआ है।
पहले डुप्लीकेटिंग काम काफी जटिल था और नकल को असल की तरह दिखाने के लिए काफी विशेषज्ञता की जरूरत होती थी हालांकि अब यह करने के लिए नकली या डिजिटल डाटा में हेरफेर करना और डेटा की गुणवत्ता नहीं खोकर असलियत बरकरार रख पाना संभव है. कलाकार एक ब्रश के साथ उनके चित्रों पर कॉपीराइट का दावा करने के लिए अपनी छवि के भीतर ही अपना नाम वॉटरमार्क के जरिये छिपा सकते हैं।
प्रोफेसर मीता ने डिजिटल वाटरमार्किंग उपयोग होने वाली कई जगह बताई जहां डेटा सुरक्षा की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। दस्तावेजों पर जानकारी, छवि सामग्री के और प्रमाणीकरण जोड़ने. डिजिटल वॉटरमार्क भी प्रवर्तक सत्यापन के लक्ष्य के साथ सफेद कागज के निशान के लिए अनुकूल किया जा सकता है।
डॉ. एन.के. पारीक, श्री मजहर हुसैन और डॉ. एसएनए जाफरी ने मेटलेब के जरिये वॉटरमार्किंग के उपयोग सम्ब न्धीन प्रतिभागियों को सहायता की। डा. अजीमुद्दीन खान ने धन्यवाद ज्ञापित किया। गुरुवार को दोपहर 1.30 बजे से 7 बजे तक मेटलेब के उपयोग से इमेज कम्प्रे शन और फेस रिकगनिशन के बारे में डॉ. नवनीत अग्रवाल और डा. रश्मि समझाएंगे।
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