उदयपुर. सर्दी भरी रात में जब अपनी मोहन वीणा पर विश्व प्रसिद्द पंडित विश्व मोहन भट्ट ने तान छेड़ी तो माहौल में मानो गर्मी सी आ गयी. गुरुवार शाम सुखाडिया रंगमंच का खचाखच भरा हॉल और श्रोताओं की बजती तालियाँ. पं. भट्ट की हर धमक और हर तान पर श्रोताओं की तालियाँ गूँज रही थी. बाद में शास्त्रीय गायक अजय चक्रवर्ती ने अपने शास्त्रीय गायन से श्रोताओं को लुभाया.
1000 घंटे की रिकॉर्डिंग भेंट करेंगे
आधुनिक तकनीक को हमें अपनाना ही होगा अन्यथा हम कहीं न कहीं पिछड़े रह जायेंगे. मेरी समझ में आधुनिक तकनीक को अपनाना किसी भी मायने में बुरा नहीं है. स्वभाव से बहुत ही सहज ग्रैमी अवार्ड प्राप्त पंडित विश्व मोहन भट्ट ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अगर अपनी कला को लोगों तक पहुँचाना है तो आज यू ट्यूब जैसे कई माध्यम हैं. वे यहाँ महाराणा कुम्भा संगीत परिषद की स्वर्ण जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में प्रस्तुति देने आये थे. उन्होंने कहा कि अगर परिषद अपन आर्काइव्ज़ बनाती है तो मैं इसमें 1000 घंटे की रिकॉर्डिंग्स देने को तैयार हूँ. उन्होंने कहा कि आने वाली युवा पीढ़ी की महत्वाकांक्षाएं बहुत हैं. इसीलिए हर कोई जल्दी से जल्दी पा लेना चाहता है. लेकिन जो जितना जल्दी ऊपर चढ़ता है, उतना ही जल्दी वापस नीचे भी उतरता है.
पाश्चात्य संगीत उत्तेजना लाता है, लोगों में एक उत्साह पैदा करता है लेकिन शास्त्रीय संगीत इस सभी उत्तेजनाओं से आपको दूर ले जाता है. यह आपको भक्ति कराता है, एक प्रकार का सुकून देता है. उदयपुर की हवा में एक प्रकार की ताजगी है. एक प्रेरणा है जो आपको और नया करने की और प्रेरित करती है. शास्त्रीय संगीत में कभी होम वर्क नहीं किया जाता. मौके पर जो बजा लिया जाये, वही असली संगीत है. मैं जो आज बजाऊंगा, वो कल के मुकाबले भिन्न होगा. मुझे अभी तक नहीं मालूम कि मैं शाम को प्रोग्राम में क्या बजाऊंगा? अगर होम वर्क करके जाएँ तो वो रटने की विद्या हो जाती है और यह ठीक वैसे ही भूल जाते हैं जैसे मुन्नी या जलेबी बाई… कुछ दिन तक याद रहे लेकिन जैसे जैसे उसके शब्द याद रहना शुरू हुए, वो कुछ समय बाद स्वतः भुला दिए जाते हैं.
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