वर्ल्ड वेटलैण्ड डे पर आयोजन
udaipur. पर्यावरणविद् अनिल मेहता ने कहा कि झीलों में मोटर बोट के उपयोग से झीलों में रहने वाले पक्षियों के प्राकृतिक आवास एवं प्रजनन प्रभावित होता है। अत: झीलों में इको जोन का निर्धारण जरूरी है। वे डॉ. मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट व झील संरक्षण समिति के साझे में आयोजित संवाद को संबोधित कर रहे थे।
विश्व वेट लेण्ड डे के अवसर पर आयोजित संवाद में वक्ताओं ने कहा कि पर्यटन व्यवसाय का विकास व निरंतरता के लियें झीलों, तालाबों को सुरक्षित, संरक्षित और सुन्दर बनाये रखना पर्यटन उद्योग का दायित्व है।
झील संरक्षण समिति के सचिव डॉ. तेज राजदान ने कहा कि झीलों एवं जल स्त्रोतों पर आने वाले पर्यटक पानी का मितव्ययता से उपयोग करें तथा पानी को प्रदूषित नही करें, यह दायित्व पर्यटन उद्योग का है।
ट्रस्ट सचिव नन्दकिशोर शर्मा ने कहा कि रंग सागर, कुम्हारिया तालाब तथा फतहसागर स्थित उपला तालाब सहित रूप सागर, नेला, जोगी का तालाब, पुरोहितों का तालाब एवं अन्य समस्य छोटी झीलों को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिय राज्य सरकार के पर्यटक विभाग को पहल करनी चाहिये।
टूरिस्टक एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष मनिष गलुंडिया ने कहा कि पर्यटन उद्योग झीलों तालाबों के स्वच्छ रखने व इससे स्थानीय लोगों को रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराने को कटिबंध है। गलुंडिया ने कहा कि पर्यटन उद्योग की प्रगति तथ झीलों का संरक्षण हमारा उद्देश्य है।
पक्षी विशेषज्ञ डॉ. सतीश शर्मा ने कहा कि वेटलेण्ड्स के संरक्षण से ही पक्षियों तथा जनवरों को बचाया जा सकेगा। प्राकृतिक सन्तुलन को बनाये रखने में पक्षियों तथा जलचरों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
चांदपोल नागरिक समिति के तेजशंकर पालीवाल तथा झील हितेषी नागरिक मंच के हाजी सरदार मोहम्मद ने वेट लैण्ड्स पर अतिक्रमण तथा सीवरेज का झीलों में हो रहे निरन्तर प्रवाह पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे वेट लैण्ड्स खत्म हो जायेंगी तथा पर्यटन उद्योग संकट गस्त हो जायेगा।
अध्यक्षता करते हुए ट्रस्ट अध्यक्ष विजय एस. मेहता ने कहा कि वेट लैण्ड्स के संरक्षण के बिना गुणवत्ताट युक्त पानी की बात बेमानी है। मेहता ने झीलों के जल प्रवाह मार्ग को बाधा रहित बनाने पर भी जोर दिया। संवाद का संयोजन अनिल मेहता एवं नन्द किशोर शर्मा ने किया।