मुख्य मेला 7 को, मेलार्थियों का जमावडा जारी
udaipur. लाखों लोगों की अनन्य श्रद्घा के केन्द्र बेणेश्वर धाम पर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले वनवासियों के महाकुंभ बेणेश्वर महामेला में श्रद्घालुओं के उमडने का क्रम जारी है। डूंगरपुर एवं बांसवाडा जिलों के मध्य माही तथा सोमजाखम नदियों के पवित्र जलसंगम तीर्थ क्षेत्र पर रविवार को मेले के तीसरे दिन बडी संख्या में श्रद्घालु उमडे और देवदर्शनादि के साथ मेले की मस्ती का आनंद उठाया।
धाम पर स्थित प्राचीनतम बेणेश्वर शिवालय के साथ ही राधाकृष्ण मंदिर और अन्य मंदिरों पर देवदर्शनार्थ श्रद्घालुओं की रेलमपेल बनी हुई है। मंदिरों में देव स्तुतियों के साथ घंटानाद, आदिवासी भजनों और गीतों की स्वर लहरियां अनवरत गुंज रही हैं। मेले में रविवार को विदेशी पर्यटकों को भी मेले का लुत्फ उठाते देखा गया।
बेणेश्वर धाम पर मेले के शुभारंभ के बाद से ही भक्त-मेलार्थियों का तांता लग गया है। आज सैकडों की तादाद में श्रद्घालुओं ने संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाई और देव-दर्शनादि किए। मेले में बाजार सज चुके हैं और बडी संख्या में मनोरंजनदायक स्टॉल लगे हैं। मेलार्थियों के आगमन का क्रम लगातार बना हुआ है। इधर, मेले के दौरान प्रशासनिक व कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त प्रबन्ध किए गए हैं। इस हेतु एक कण्ट्रोल रूम व अस्थायी थाना भी स्थापित किया गया है।
गरबा सम्राट हेमंत चौहान की भजन संध्या 6 को : बेणेश्वरधाम मेले में आने वाले श्रृद्घालुओं के मनोरंजन के लिए जिला प्रशासन व पर्यटन विभाग के तत्वावधान में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू हो चुकी है। जिला कलक्टर पूनम ने बताया कि मेले में नियंत्रण कक्ष के ठीक सामने स्थित मुक्ताकाशी रंगमंच पर रात्रि में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां हो रही है। सोमवार रात्रि गुजरात के प्रसिद्घ गरबा गायक हेमंत चौहान गरबों और भजनों की मनोहारी प्रस्तुतियां देंगे। इससे पूर्व पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर के तत्वावधान में देश के विभिन्न राज्यों से आए जनजातिय लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां भी दी जाएंगी।
मुख्य मेला 7 फरवरी को : जनजातियों के महाकुम्भ के नाम से जाने जाने वाले इस मेले में वागड अंचल के कोने-कोने से उमडे श्रद्घालुओं सहित राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और देश के विभिन्न हिस्सों से कई लाख मेलार्थी इसमें हिस्सा लेंगे। मुख्य मेला माघ पूर्णिमा 7 फरवरी को भरेगा। इसमें पांच से सात लाख मेलार्थी भाग लेंगे। हरि मंदिर साबला से परंपरागत रूप से महंत अच्युतानंद की पालकी यात्रा निकलेगी और शाही स्नान होगा वहीं दूसरी ओर मेलार्थी अपने मृत परिजनों की मुक्ति की कामना से बेणेश्वर के पवित्र जलसंगम तीर्थ में स्नान एवं अस्थि विसर्जन, श्राद्घ, मुण्डन, तर्पण, सामूहिक भोज आदि की रस्मेंं पूरी कर देव-दर्शनादि, खरीदारी एवं लोकानुरंजन संसाधनों का लुत्फ लेकर श्रद्घा, उल्लास और मेल-मिलाप की संस्कृति को अभिव्यक्त करेंगे।