मध्यप्रदेश में अपने सहयोगी मित्रों से अचानक जानकारी मिली कि रवीन्द्र जी का सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। उनका निधन एकदम से आहत कर देने वाला था। उनके चेहरे का गांभीर्यपन या जब मुस्कुराते थे तो हर दिल अजीज मुस्ककराहट.. बार-बार आंखों के सामने आ रही है जिसका हर कोई कायल था।
एक बार जो उनसे मिल लिया, उन्हीं का होकर रह गया। राजस्थान में दैनिक भास्कर का जब पदार्पण हुआ तब मेरा प्रशिक्षण काल शुरू हुआ था श्री अनिल लोढ़ा एवं श्री रवीन्द्र शाह के सान्निध्य में। फिर दोनों का मार्गदर्शन ही था जिसने आज भास्कर, पत्रिका, राष्ट्रीय सहारा, फिर भास्कर, फिर पत्रिका और अंतत: www.udaipurnews.in तक का सफर। कहते हैं कि well begin is half done. अगर अच्छीर शुरुआत हुई इसका अर्थ कि आधा काम तो आपका पूरा हो गया। मेरी शुरुआत जब इन दो वरिष्ठर पत्रकारों के सान्निध्य में हुई तो पता नहीं था कि कितने समय तक और कब तक काम करना है। फिर भास्कर के उदयपुर संस्करण की शुरुआत में मुझे स्थानीय होने का लाभ मिला और मुझे यहां भेज दिया गया वहीं श्री रवीन्द्र शाह को यहां का संपादक बनाकर भिजाया गया। फिर हम तो यहीं के होकर रह गए लेकिन मन में महत्वाकांक्षा से उच्चाकांक्षा पाले श्री रवीन्द्र शाह जयपुर बुला लिए गए। वहां से वे दिल्ली चले गए। दिल्ली में कुछ समय के लिए उन्होंने सहारा ग्रुप ज्वाइन किया। वे वहां अधिक समय तक नहीं रह पाए। फिर वहां के विश्वंविद्यालय में पत्रकारिता पढ़ाते रहे। वर्तमान में वे आउटलुक हिन्दी के एसोसिएट एडिटर का कार्यभार देख रहे थे।
हमने एक अच्छा मार्गदर्शक खो दिया। भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।