udaipur. अखिल भारतीय शिक्षा अधिकार मंच के संस्थापक सदस्य डॉक्टर अनिल सदगोपाल मेवाड़ एक्सप्रेस से 25 फरवरी को उदयपुर आएंगे। इसके बाद वे सुबह चेटक सर्किल स्थित लेकसिटी प्रेस क्लब में सुबह 11 बजे प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में शिक्षा की चुनौतियों पर विचार व्यक्त करेंगे। साथ ही शिक्षा के वास्तविक अधिकार और जन विकल्प की लड़ाई से सम्बंधित सभी आयामों पर भी बात करेंगे। फिर दोपहर 2.30 बजे विद्या भवन सोसायटी, सेवा मंदिर तथा मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा विद्या भवन ऑडिटोरियम में आयोजित व्याख्यानमाला के तहत ‘शिक्षा का अधिकार और जन विकल्प की लड़ाई’ विषय पर व्याख्यान देंगे और नगर के बुद्धिजीवियों, जन प्रतिनिधियों और युवाओं से रूबरू होंगे.
डॉक्टर अनिल सदगोपाल व उनकी टीम 26 फ़रवरी को खेरवाडा में शिक्षा पर सीनियर स्कूल खेरवाडा परिसर में आयोजित जन संवाद कार्यक्रम में शिक्षा से सम्बंधित समस्याओं की सुनवाई करेंगे. खेरवाडा में कार्यक्रम जागरूक शिक्षक संगठन द्वारा आयोजित किया जा रहा है जिसमे क्षेत्र के विभिन्न जन संगठनो के साथ ही विद्यार्थी, अध्यापक, अभिभावक और बुद्धिजीवी भाग लेंगे. शिक्षा जन संवाद सुबह 11 बजे प्रारंभ होकर दोपहर बाद 4 बजे तक चलेगा. कार्यक्रम में जनता के सवालों का डॉक्टर सदगोपाल जवाब देंगे तथा उनके कारणों का विश्लेषण करते हुए समान शिक्षा, मुफ्त शिक्षा, जनजाति क्षेत्र में विशेष शिक्षा आदि का जन विकल्प और उसके पुनर्निर्माण के लिए संघर्ष का मार्ग सुझाएंगे.
डॉ. सदगोपाल का संक्षिप्त परिचय : डॉ. अनिल सदगोपाल मूल रूप से वैज्ञानिक है. वे दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर एवं शिक्षा संकाय के डीन और नेहरू मेमोरिअल म्युजियम एंड लाइब्रेरी में सीनियर फेलो रहे है. उन्होंने मद्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में ‘ किशोर भारती ‘संस्था कि स्थापना कि. ‘किशोर भारती’ ने सरकारी मिडिल स्कूलों में विज्ञान को खुद प्रयोग करके सिखाने की पाठ्यचर्या स्थापित की जिसने सरकारी स्कूल व्यवस्था में बदलाव की जबरदस्त संभावनाओं को उजागर किया. इस हस्तक्षेप को ‘होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम ‘ के नाम से देश भर में जाना गया. डॉक्टर सदगोपाल सरकार पर शिक्षा पर गठित विभिन्न आयोगों व समितियों में सक्रिय भागीदार रहे है. इसके बाद वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि सरकारी नीति निर्धारण में सीधी भागीदारी से कोई भी व्यवस्थामूलक बदलाव संभव नहीं है. इसी रचनात्मक प्रतिरोध के कारण उनकी पहचान एक विद्रोही शिक्षाविद की बन गई है. वे अब शिक्षा व्यवस्था और शिक्षा शास्त्र में बदलाव के लिए एक जन आन्दोलन खड़ा करने के काम में सक्रिय है तथा देश के कोने कोने में शिक्षक,युवा तथा प्रगतिशील संगठनों के साथ शिक्षा के जन सरोकार रखने वालो को जोड़ने में लगे हुए है. इसी कड़ी में डॉ. अनिल के कठिन प्रयासों से अखिल भारतीय शिक्षा अधिकार मंच का गठन हुआ है और उसमे देश के 20 राज्यों से अधिक का प्रतिनिधित्व है.