udaipur. होली पर्व इस बार 7 मार्च को मनाया जाएगा। रंग पर्व धुलण्डी 8 मार्च गुरुवार को मनाया जाएगा। हालांकि इसको लेकर काफी संशय है। एक ओर कुछ विद्वानों का कहना है कि फाल्गुनी पूर्णिमा पर 7 मार्च की शाम को भद्रा होने से होलिका दहन नहीं किया जाएगा इसलिए अगले दिन यानी 8 मार्च तड़के सूर्योदय से पहले होली मंगली की जा सकेगी।
इसके विपरीत पं. प्रकाश परसाई का कहना है कि मेवाड़ विजय पंचांग एवं निर्णय सागर पंचांग के अनुसार प्रदोष काल में होलिका दहन किया जा सकेगा। यानी पूर्णिमा पर 7 मार्च की शाम को ही प्रदोषकाल में भी होलिका दहन संभव है। उन्होंने बताया कि प्रदोषकाल का समय 6.36 से 8.46 मिनट तक रहेगा। इसमें 7 से 8 बजे तक होलिका दहन किया जा सकता है। वृहद ज्योतिष एवं निर्णयसार के अनुसार दिन की भद्रा रात्रि में और रात्रि की भद्रा दिन में हो तो अशुभ फल प्रदान नहीं करती। पूर्णिमा की भद्रा भी दिन की भद्रा मानी गई है। अत: रात्रि में प्रवेश होने से अशुभ फल नहीं होता तथा होलिका दहन निशामुख (रात्रि प्रवेश के समय) किया जा सकता है। निषिद्धकाल के बाद होलिका दहन नहीं किया जाना चाहिए।
पं. परसाई ने कहा कि होलिका एक प्रकार का वैदिक यज्ञ है। इसमें ताबीज, टोने-टोटके आदि नहीं डालने चाहिए। इससे दोष उत्पन्न होता है। यह गृहस्थों के लिए सर्वथा अनुचित है। यह तांत्रिक लोगों के लिए शुभ फलप्रदाय होता है। गृहस्थों को होलिका में गंदी चीजें, अनुपयोगी चीजें नहीं डालनी चाहिए।