शिक्षक शिक्षा – 21 वीं सदीं की चुनौतियों पर राष्ट्री य संगोष्ठी का समापन
उदयपुर। राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. यादव ने कहा कि 21 वीं सदीं ज्ञान की शताब्दी हैं, जिसमें शिक्षक को अपनी भूमिका बदलते हुए दायित्वों को वहनकर ज्ञानवान, ऊर्जावान, मार्गदर्शक एवं अभिप्रेरक बनकर सुनागरिक बनने की चुनौतियों को स्वीकारना होगा। वे मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय शिक्षा संकाय के तत्वावधान में राजस्थान कृषि महाविद्यालय के सभागार में आयोजित संगोष्ठीक को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि शिक्षक-शिक्षा पर आयोजित यह संगोष्ठीठ राज्य में इक्कीहसवीं सदी की चुनौतियों के समाधान व सुधार हेतु वातावरण तैयार करेगी तथा नीति निर्धारकों की सोच में बदलाव का आधार प्रस्तुत करेगी। विशिष्ट अतिथि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर के पूर्व कुलपति प्रो. वी. सी. छापरवाल एवं पूर्व गृहमंत्री कैलाश मेघवाल थे। अध्य क्षता जनार्दय राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वतविद्यालय की कुलपति प्रो. दिव्यप्रभा नागर ने की।
नागर ने कहा कि शिक्षक को चिराग के रूप में प्रज्जवलित रहते हुए चुनौतियों का निदान खुद को ढूढऩा होगा। इस हेतु शिक्षक-शिक्षा महाविद्यालय में गुणवत्ता आधारित शिक्षक बनाने हेतु जीवन पर्यन्त नवाचार करते हुए शिक्षा से जुड़े़ रहकर स्वंय की पहचान बनानी होगी जिसे समाज सम्मानित कर सके।
विशिष्टि अतिथि मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आई. वी. त्रिवेदी ने संगोष्ठीद की अनुशंसाओं को समिति के माध्यम से 7 दिन में प्रस्तुत करने को कहा ताकि विश्वविद्यालय स्तर पर क्रियान्वित की जाने वाली अनुशंसाओं को तत्काल लागू करने का निर्णय ले सके। उच्च स्तर की अनुशंसाओं हेतु राज्य सरकार से सहयोग मांगा जा सके।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो. बी. सी. छापरवाल पूर्व कुलपति देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर ने शिक्षा के चार स्तम्भ पर ध्यान देते हुए वसुधैव कुटुम्बकम् की सोच के आधार पर शिक्षक-शिक्षा की चुनौतियों को स्वीकार कर निदान ढूंढने को प्रेरित किया।
विशिष्टि अतिथि पूर्व गृहमंत्री कैलाश मेघवाल ने उद्बोधन में शिक्षक शिक्षा की 21 वीं सदी में चुनौतियों को स्वीकारते हुए राजशाही, नौकरशाही एवं अन्य वर्गों के भरोसे न रहकर स्वयं समर्पण का भाव रखते हुए संगोष्ठीा के मंथन पर स्वंयं क्रियान्वयन की सोच विकसित करने तथा मौलिक चिंतन के आधार पर कार्य करने की बात कही। शिक्षा-संकाय के डीन डॉ. कैलाश सोड़ानी ने अभिनंदन करते हुए संगोष्ठी की कार्यप्रणाली एवं संगोष्ठी में सहयोग देने वालो की हौसला अफजाई की।
प्रतिवेदन व प्रमुख अनुशंसाओं को संगोष्ठी की सचिव डॉ. प्रभा वाजपेयी ने प्रस्तुत की। आभार प्रदर्शन कार्यक्रम संयोजक डॉ. विनोद अग्रवाल ने व्यक्त किया। संचालन डॉ. निरूपमा शर्मा एवं अंकुर कपूर तुली ने किया।