उदयपुर। शहर में संचालित अधिकांश वाटिकाएँ नगर परिषद में पंजीयन के आवेदन बिना ही धडल्लें से चलायी जा रही हैं। वाटिका उपनियम के अनुसार वाटिका संचालन के लिए पंजीयन अनिवार्य है, जिसका शुल्क पांच वर्ष तक के लिए 20 हजार रूपए होकर प्रति वर्गफीट दर से दो रूपए वाटिका के कुल क्षेत्रफल के हिसाब से अनुज्ञा शुल्क प्रतिवर्ष जमा कराना होगा।
परिषद के आंकड़ों के अनुसार शहर में संचालित 78 वाटिकाओं में सें 67 वाटिका संचालकों ने पंजीयन के लिए आवेदन कर रखे हैं जिनकी पंजीयन प्रक्रिया जारी है। दस वाटिकाएं झील किनारे निर्माण निषिद्ध में संचालित हैं। शहर में 38 वाटिकाओं के संचालकों ने पंजीयन के लिए परिषद में अब तक आवेदन नहीं किया है।
न्यायालयों में विचाराधीन करीब आधा दर्जन वाटिकाओं के संचालकों ने न्यायालय से स्टे ले रखा है, बावजूद इसके वाटिकाओं को शादी समारोहों के लिए बुक कर लाखों रूपए कमा रहे हैं। इनसे परिषद को फूटी कौड़ी तक नहीं मिलती और परिषद इनके खिलाफ कार्रवाई भी नहीं कर सकती। परिषद की शर्त के अनुसार वाटिका में पार्किग सुविधा होनी चाहिए, लेकिन शहर में अधिकतर वाटिकाओं में वाहन पार्किग सुविधा नहीं है।
news by : रवि मल्होत्रा