छप्पन भोग के दर्शन जनता आनंदित
उदयपुर। इस जगत में हमें चाहे बड़ी से बड़ी वस्तु मिल जाए लेकिन फिर भी हमारा जीवन पूर्ण नहीं होता। हम वस्तुओं केसुख के भ्रम में जीते हैं। असली सुख वस्तुओं में नहीं बल्कि ठाकुर जी भक्ति में हैं, ठाकुरजी के धाम में हैं, ठाकुरजी के चरणों में हैं। हम ठाकुरजी के दर्शन के लिए कितने ही कष्ट उठाएं, पैदल चलें, मन्दिर में लगी भीड़ में धक्के खाते हुए भी अगर हमें ठाकुरजी के दर्शन हो जाएं तो हम अपने आपको धन्य मानते हैं।
हम उस कठिनाई का जिक्र तक नहीं करते, बल्कि यह कहते हैं कि कुछ भी हुआ हो, दर्शन का आनन्द आ गया। अगर यही आप किसी भव्य शादी में गये हों, वहां आप धक्के खाएं, कोई पूछने वाला नहीं हो, दुल्हा-दुल्हन सज-धज कर आ जाएं, उन्हें देख लो, क्या आनन्द मिलेगा। शादी में धक्के खाने के बाद हर किसी के मुंह सें यही शब्द निकलेगा कि आज के बाद मैं यहां आना तो दूर इसका मुंह तक नहीं देखूंगा।
उक्त उद्गार राधाकृष्ण महाराज ने ओरियन्टल पैलेस में के.जी.गट्टानी फाउण्डेशन की ओर से आयोजित भागवत कथा के पांचवें दिन कृष्णधाम में सैंकड़ों भक्तों के सामने व्यक्त किये। महाराज ने श्रीकृष्ण के गोकुल में प्रवेश का कथांश सुनाते हुए कहा कि सबसे पहले यह समझना होगा कि गोकुल क्या है। गोकुल के दो अर्थ हैं- पहला तो वो जहां गैय्याओं का समूह हों, जहां गायें समूह में रहती हों। दूसरा इसका अगर आध्यात्मिक अर्थ देखें तो गौ यानि इन्द्रियां और कुल यानि समूह। इन्द्रियों का समूह। मनुष्य भी इन्द्रियों का समूह ही है। गोकुल गोपियों का भी समूह है।
महाराज ने कहा कि एक बार श्रीकृष्ण से गोपियों ने पूछा कि आपका जन्म तो मथुरा में हुआ फिर आप गोकुल में क्यों रहते हो। कृष्ण ने सीधा सा जवाब दिया मुझे मौज में रहने का शौक हैं। मैं मेरे भक्तों को सहजता से उपलब्ध होना चाहता हूं। मथुरा में तो मुझे महलों में रहना पड़ता। महलों की अपनी मर्यादाएं होती है। न मैं किसे आसानी से मिल सकता और न कोई मुझसे आसानी से मिल सकता। उन्होंने कहा कि सहजता ठाकुरजी का स्वभाव है।
छप्पन भोग का मनोरथ-कथा के पंाचवें दिन आज भगवान श्रीकृष्ण के जहंा छप्पन भोग मनोरथ हुए वहीं विश्ेाष रूप से बनायी गिरिराज पर्वत की झंाकी के रूप में गोवर्धन पर्वत की पूजा की गई। आज के कथा प्रसंग में 56 भोग का विशेष आयोजन रखा गया। इस दौरान सैंकड़ों भक्तों से भरा पूरा पाण्डाल कृष्ण के जयकारों से गूंज उठा। गोवर्धन पर्वत की विशेष झांकी भी भक्तों के आकर्षण का केन्द्र रहीं। गट्टानी फाउंडेशन की श्रीमती श्रद्धा गट्टानी ने बताया कि आज के मुख्य अतिथियों में डॉ. के.सी. सोडानी, खूबीलाल मापडिय़ा, श्यामलाल कुमावत, दलपत सुराणा, महन्त इन्द्रदेव आदि ने व्यास पीठ के पूजन के साथ ही राधाकृष्ण महाराज का माल्यार्पण कर स्वागत किया। छप्पन भोग के मनोरथ में महिलायें गुलाबी साड़ी पहने थी।