प्रतिस्पर्धा ही आपको हर दिन नया मुकाम दिलाती है। यदि जीवन में किसी प्रकार की चुनौती नहीं मिलती है तो वह व्यवसाय मृत प्राय: हो जाता है। उस व्यवसाय में उर्जा का अभाव देखा जाता है। चुनौती एंव प्रतिस्पर्धा को ही अपना जीवन मानकर 25 मई,1997 को उदयपुर के सुखेर क्षेत्र में मेवाड़ हाईटेक इंजिनियरिंग लि. की स्थापना करने वाले सी.एस.राठौड़ आज उस मुकाम पर है जहां इतने कम समय में वहां तक पहुंचना किसी के लिये आसान नहीं।
कंपनी के प्रबन्ध निदेशक सी.एस.राठौड़ से उनकी व्यावसायिक सफलता एवं कम्पनी के 15 वें स्थापना दिवस पर उदयपुर न्यूज से विशेष बातचीत हुई। उनके इस सफल सफर में सहभागी रही उनकी पत्नी एवं कम्पनी की निदेशक डॉ. रीना राठौड़ भी मौजूद रहीं। वे शीघ्र ही अपना आईपीओ भी लाने वाले हैं।
अपने उद्योग की वर्तमान स्थिति के बारे में बताये।
– कम्पनी वर्तमान में विभिन्न प्रकार क्रेशर का निर्माण कर रही है जिसमे जॉ केशर,कंकरीट एंव सीमेन्ट उत्पादन में काम आने वाले क्रेशर प्रमुख है। कम्पनी ने अपना व्यावसायिक विस्तार देश के विभिन्न प्रान्तों के साथ-साथ नेपाल तक फैला लिया है। कम्पनी ने गत वर्ष 50 प्रतिशत ग्रोथ हासिल की थी। कछ समय पूर्व ही कम्पनी ने स्वनिर्मित कोण क्रेशर बाजार में लॉन्च किया और यह सफलतापूर्वक रन कर रहा है। कम्पनी को हाल ही में भारत सरकार के उपक्रम राइट्स इंडिया लिमिटेड की ओर से क्रेशर सप्लाई का बड़ा ऑर्डर प्राप्त हुआ। इस ऑर्डर को कम्पनी म्यांमार में सप्लाई कर रही है। अब तक कम्पनी ने ऑर्डर की 50 प्रतिशत आपूर्ति कर दी है। कम्पनी द्वारा निर्मित मोबाईल केश जहां पूर्व में टायर बेस था उसे अब ट्रेक बेस बनाकर बाजार में उतारा है। जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।
अपने उद्योग की प्रगति के लिये आप किन योजनाओं पर कार्य कर रहे है।
– देश के उद्योग पूर्व में कोण व मोबाइल क्रेशर विदेशों से आयात करती थी लेकिन जब से हमनें इस प्रकार के क्रेशर का निर्माण प्रारम्भ किया तब से उन्होनें आयात बंद कर हमारें प्लान्ट लगाने लगी है। हमनें उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, आसाम, केरला सहित देश के विभिन्न हिस्सों में शाखायें खोल रखी है।
बढ़ती मंहगाई के असर को आप किस प्रकार महसूस करते है।
– सही मायने में यदि पूछा जाय तो महंगाई है ही नहीं क्योंकि मंहगाई के अनुपात में आम आदमी की आय में भी वृद्धि हुई है। इसलिये महंगाई के नाम पर हव्वा खड़ा किया जा रहा है। हम मंहगाई को हमारें व्यवसाय के लिये प्रगति का द्योतक मानते है। मंहगार्ई के दौरान हम अधिक टर्नऑवर कर प्रति यूनिट लागत को कम करने का प्रयास करते है। मंहगाई को हम चुनौती के रूप में स्वीकारते है। देश कम्पनियंा कोण व मोबाईल क्रेशर आयात कर हमारें प्लान्ट की तुलना में 5 गुना अधिक कीमत चुका कर विदेशी मुद्रा का अपव्यय कर रही है।
ग्राहक आपसे किस प्रकार सुवधाएं चाहता है।
– प्रत्येक ग्राहक की यही मंशा रहती है कि उत्पाद खरीदने के पश्चात आफ्टर सेल्स सर्विस व स्पेयर पार्टस की उपलब्धता निरन्तर बनी रहे। इसी प्रकार की वह सुविधायें चाहता है और इस प्रकार सुविधायें देने हम हमेशा अग्रणी रहते है। हमारें ब्रान्च ऑफिस में भी हमनें तकनीकी स्टॉफ लगा रखा है ताकि किसी भी ग्राहक को भी प्रकार असुविधा न हो।
किन-किन भावी योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है।
-व्यवसाय के लिये वर्तमान स्थल अब छोटा रह गया है। कम्पनी यह योजना बना रही है कि वह अपने व्यवसाय के विस्तारीकरण के साथ-साथ 15-20 किमी. के दायरे में 200-300 एकड़ जमीन लेकर वहां बड़ी फेक्ट्री स्थापित करते हुए उसमें कार्यरत कर्मचारियों व उनके परिजनों के लिये प्रारम्भिक व तकनीकी शिक्षा दिलानें हेतु स्कूल खोलें जायेंगे ताकि वहां से शिक्षा प्राप्त युवकों को इसी कम्पनी में रोजगार मिल सके। इसके अलावा इनके लिये अस्पताल एंव आवासीय सुविधाओं का भी निर्माण कराया जायेगा।
क्या आपने निकट भविष्य में किसी प्रकार का कोई व्यावसायिक विस्तार किया है।
– कम्पनी ने व्यावसायिक विस्तार तो नहीं किया लेकिन अपने उत्पादों की कार्यक्षमता में 2 गुना तक की वृद्धि की। कम्पनी ने अपने यहंा उच्च गुणवत्तायुक्त सीएनसी टर्निंग,सीएनसी प्रोफाईल कटिंग तथा हेण्डलिंग मशीनें लगा कर अपनी उत्पादन क्षमता को भी बढ़ाया है।
आपके सामने सबसे बड़ी कारोबारी चुनौती क्या है।
– हमारें सहित सभी उद्योगों को मुख्यत: एक ही चुनौती लेबर की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है। नरेगा योजना के बाद कोई मजदूर काम ही नहीं करना चाहता है। इस क्षेत्र के अन्य उद्योगों द्वारा दरों में नॉन स्टेण्डर्ड उत्पाद की दरें देने से हमें प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट को देखते हुए अच्छे विद्यार्थी उद्योगों को नहीं मिल रहे है। आज के युग में अधिकतर युवा कोई शिक्षा कोई लेना नहीं चाहता है। सिर्फ इन्टरनेट पर बैठे-बैठे अपने सपने संजोते रहते है।
प्रतिस्पर्धा की स्थिति को आप किस प्रकार महसूस करते है।
-किसी भी व्यवसाय की सफलता के लिये उसमें प्रतिस्पर्धा होनी जरूरी है। यही हमे अपनी एफिशियेन्सी को बढ़ाने की ओर प्रेरित करती है। किसी भी व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा हो लेकिन वह स्वस्थ हो। प्रतिस्पर्धा अपनों से नहीं वरन् विदेशी कम्पनियों से करनी चाहिये जिसके माल की गुणवत्ता हमारें सामने कहीं नही टिकती है। व्यवसाय की सफलता के लिये शॉर्ट कट नहीं अपना कर दीर्घ रास्ता तय करें। उसमें मिलने वाली सफलता में देर अवश्य लगेगी लेकिन वह दीर्घ समय के लिये होगी।
क्या आप सरकारी सहयोग की अपेक्षा रखते है।
-किसी भी सरकार ने उद्योगों के हित में कोई कार्य नहीं किया है। सरकार उद्योगों की दुश्मन बनी हुई है। सरकार इस क्षेत्र में मूलभूत सुविधायें सडक़, पानी की सुविधा भी उपलब्ध नहीं करा पा रही है और तो और वर्षा के समय क्षेत्र में भरने वाले पानी की निकासी के लिये भी कोई उपाय नहीं है जबकि इस क्षेत्र में 50 से अधिक यूनिट लगी हुई है तथा 10 हजार से अधिक लोग रोजगार से जुड़े हुए है।