विद्यापीठ में ‘कुलाधिपति’ पर जद्दोजहद
उदयपुर। एक ओर जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय अपनी मान्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जूझ रहा है वहीं दूसरी ओर जनार्दन राय नागर का पारिवारिक दबदबा कायम रखने को लेकर कुलाधिपति पर अब जद्दोजहद हो रही है।
पूर्व में यहां कुलपति प्रो. दिव्यप्रभा नागर थीं जो जनार्दन राय नागर की पुत्रवधू थी। उनका कार्यकाल समाप्त होते ही कुलाधिपति प्रो. भवानीशंकर गर्ग ने व्यवस्थापिका के माध्यम से प्रो. सारंगदेवोत को कुलपति नियुक्त कर दिया। इस पर नागर के पुत्र कुलप्रमुख प्रफुल्ल नागर ने कुलाधिपति गर्ग को कथित वर्ष 2010 में दिया इस्तीफा स्वीकार करवाकर शहर के उद्यमी जितेन्द्र तायलिया को कुलाधिपति नियुक्त करने की घोषणा कर दी।
उधर गर्ग ने अपने इस्तीफे को लेकर आज कहा कि वे ही राजस्थान विद्यापीठ के चांसलर है और जनवरी 2013 तक पद पर रहेंगे। उन्होंने कहा कि पं. नागर ने सर्वहारा वर्ग के लिये मूल्यों व आदर्शों की शिक्षा का प्रसार को लेकर राजस्थान विद्यापीठ की स्थापना की थी। उसे हम हमेशा कायम रखेंगे। उन्होंने बताया कि राजस्थान विद्यापीठ हमेशा कार्यकर्ताओं की संस्था रही है क्योंकि इसका विकास और विस्तार कार्यकर्ताओं के बल पर हुआ है। संस्था किसी व्यक्ति विशेष या परिवार की संपत्ति नहीं है। राजस्थान विद्यापीठ की विकास यात्रा भी कार्यकर्ताओं के सक्रिय सहयोग से निरन्तर चलेगी, ऐसा मेरा विश्वास है।
प्रो. गर्ग ने राजस्थान विद्यापीठ कार्यकर्ताओं द्वारा उनके प्रति आस्था रखने पर आभार व्यक्त करते हुए अपील की कि राजस्थान विद्यापीठ के कार्यकर्ता नये परिवेश में पूर्ण निष्ठा, लगन और विश्वास के साथ विद्यापीठ की प्रगति के लिये कार्य करें।
राजस्थान विद्यापीठ के वाइस चांसलर प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत सहित अनेक पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित थे।
इससे पूर्व सोमवार को कुलप्रमुख द्वारा टाउनहॉल रोड स्थित चांसलर सचिवालय की चाबियां नहीं देने पर विद्यापीठ के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन कर नारेबाजी की। विवश होकर कुलप्रमुख ने चांसलर कार्यालय की चाबियां सुपूर्द की और कार्यकर्ताओं ने कक्ष खुलवाये। इसके बाद सभी कार्यकर्ता जुलूस के रूप में कलेक्ट्रट गए और जिला कलक्टर को ज्ञापन सौपा।