उदयपुर। जानेमाने कृषि वैज्ञानिक व शिक्षाविद् सरदार कृषि नगर दांतिवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के. श्रीधरन ने कहा है कि यदि खाद्य सुरक्षा लानी है तो हमें कृषि क्षेत्र में नए-नए प्रयोग करने होंगे। नवाचार लाना होगा। वे महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वरविद्यालय उदयपुर के छात्र कल्याण निदेशालय द्वारा महाराणा प्रताप स्मृति व्याख्यान-2012 को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि देश की बढ़ती आबादी शहरीकरण, बदलता पर्यावरण और घटती जोत कृषि की सबसे बड़ी चुनौतियां हैं। उन्होंने टिकाउ कृषि विकास के लिये गुणवत्तापूर्ण बीज, जैविक खाद व कीटनाशक, उन्नत सिंचाई पद्धति, खाद्य प्रसंस्करण व मूल्य संवर्धन, उचित बाजार व्यवस्था के साथ-साथ संगठित सरकारी व संस्थागत सहायता की आवश्यकता भी जताई। प्रो. श्रीधरन ने गुजरात में जारी कृषि महोत्सव का उदाहरण देते हुये बताया कि इस सामुहिक अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं, इसके जरिये किसानों को नवीनतम् कृषि विधियों से अवगत कराया जाता है साथ ही उनकी समस्या-समाधान एवं कृषि आदान उपलब्ध कराये जाते हैं।
अध्यक्षता करते हुए महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० ओ० पी० गिल ने प्रताप को महान् योद्धा एवं प्रशासक बताते हुये कहा कि हमें अपने जीवन मे महाराणा प्रताप की अच्छाईयों को जीवन में उतारने की आवश्यकता है। प्रो० गिल ने कहा कि महाराणा प्रताप ने कला, संस्कृति, कृषि एवं आर्थिक विकास के अनेक स्मरणीय कार्य किये थे। इस दौरान कृषि एवं जल संसाधन पर चक्रपाणी की पुस्तकें भी लिखी गई जो कि आज भी प्रासंगिक है । उन्होने कहा कि खाद्य सुरक्षा व्यक्ति की जीवितता एवं स्वास्थ्य के लिये अत्यन्त आवश्यक है । उन्होने जनजाति बाहुल्य मेवाड़ प्रदेश के लोगों के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम के आयोजक छात्र कल्याण निदेशक डा० वीरेंद्र नेपालिया ने अतिथियों का स्वागत किया एवं बताया कि विगत चार वर्षो से महाराणा प्रताप स्मृति व्याख्यान माला का नियमित आयोजन किया जा रहा है।
राजस्थान कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉं० एस. आर. मालू ने प्रो० के.एस. श्रीधरन के जीवन परिचय से सदन को अवगत कराया। संचालन डॉं० गायत्री तिवारी ने किया एवं धन्यवाद प्रस्ताव विश्वविद्यालय के निदेशक आवासीय निर्देशन डॉं० जी.एस. चौहान ने ज्ञापित किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉं० के.एन. नाग, डॉं० वी.बी. सिंह, पूर्व निदेशक, प्रबन्ध मण्डल के सदस्य, प्रसार एवं अनुसन्धान निदेशक, कुल सचिव, विश्वविद्यालय के विभिन्न संकाय अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, अधिकारीगण, शैक्षणेत्तर कर्मचारी, विद्यार्थी, पूर्व संकाय सदस्य तथा अतिथि भी उपस्थित थे।