अतिरिक्त मुख्य सचिव अदिति मेहता ने कहा
उदयपुर। अतिरिक्त मुख्य सचिव (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग) अदिति मेहता ने कहा कि किशोर न्या्य अधिनियम के तहत यदि कोई बालक बाल श्रम करते पाया जाता है तो 20 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि वे अधिनियम में दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए बाल श्रम की रोकथाम करें। वे शुक्रवार को महाराणा प्रताप कृषि महाविद्यालय में आयोजित किशोर न्याय अधिनियम 2000 एवं जिला बाल संरक्षण इकाई के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर आयोजित संभाग स्तरीय बैठक को सम्बोधित कर रही थी।
उन्होंने बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष एवं सदस्यों से कहा कि वे निराश्रित गृहों एवं मुकबधिर विद्यालयों का माह में एक बार आवश्यक रुप से निरीक्षण करें और पायी जाने वाली कमियों को दूर करते हुए बालकों को उनका हक दिलाने में मदद करें।
उन्होंने नवजात एवं लावारिस बच्चे मिलने पर कहा कि उन्हें तत्काल चिकित्सालयों में भर्ती करवाकर उनकी स्वास्थ्य जांच करवाये और अखबार के माध्यम से लावारिस की सूचना प्रकाशित करवाये। इसके पश्चात यदि उस नवजात बालक या बालिकाओं के अभिभावक या माता-पिता उन्हें लेने नहीं आते है तो उन्हें पुनर्वास गृहों में पालन पोषण करें।
बैठक में उन्होंने सम्भाग के प्रत्येक जिलेवार अधिनियम के तहत की गई कार्यवाही की एक एक कर समीक्षा की । उन्होंने डूंगरपुर जिले में सर्वाधिक 310 बच्चों में से 297 को पुन: पुनर्वासित करने पर बधाई देते हुए कहा कि यह उदाहरण राजस्थान भर के लिए अनुकरणीय है। उदयपुर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उप निदेशक मांधातासिंह ने अतिथियों का स्वागत किया।