786 संख्या वाले करेंसी नोटों के प्रथम संग्रहकर्ता बने विनय भाणावत
उदयपुर। भारतीय मुद्रा में करेंसी नोट के आखिरी अंक 786 वाले नोटों के संग्रहकर्ता उदयपुर शहर के विनय भाणावत ने लिम्का बुक ऑफ रिकार्डस में अपना नाम दर्ज करा कर प्रथम संग्रहकर्ता का खिताब हासिल कर लिया है। उन्हें यह उपलब्धि 40 सालों की लम्बी साधना एवं जुनून के बाद मिली है।
मेवाड फिलेटली सोसायटी के संस्थापक-अध्यक्ष विनय भाणावत ने 10 रुपये के नोटों में आखिरी अंक 786 वाले 86067 नोट संग्रह कर ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने पूर्ववती रिकॉर्ड होल्डर को काफी पीछे छोड़ दिया है। भाणावत 15 वर्ष की आयु से ही डाक टिकट एवं भारतीय करेंसी मुद्रा एवं सिक्कों का अदभुत संग्रह कर रहे है तब उन्हें पता नहीं था कि इसकी मार्केट में वेल्यू क्या है?
भाणावत ने बताया कि आज उनकी साधना एवं 40 वर्षों की तपस्या सफल हो गई है। अब वे इस संग्रह को निरन्तर बढ़ाते रहेंगे। विनय ने बताया कि सबसे बड़ी बात तो यह है कि कभी गुस्सा करने वाली उनकी पत्नी आशा भाणावत भी अब उनके संग्रह की कद्र करने लगी है। वहीं पुत्र धीरज एवं पुत्रवधू रीनी भाणावत भी विनय के संग्रह को व्यवस्थित करने में सहयोगी बने हुए है। विनय ने बताया कि यह सारा संग्रह करते-करते घर वालों, रिश्तेदारों व यार-दोस्तों के बीच डाक टिकट एवं 786 के जुनूनी नाम से पहचान बन गई है और इसी जुनून ने उन्हें लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स तक पहुंचा दिया। भाणावत ने बताया कि 55 वर्ष की उम्र में आज भी रोजाना दो-तीन घंटे अपने संग्रह को देते है। आकर्षक नम्बर वाले नोटों के लिए बैंकों, दोस्तों, पान की दुकानों को खंगालते रहते है। भाणावत ने बताया कि शहर में लोगों का डाक टिकट, सिक्के एवं नोटों के संग्रह में रूझान पैदा करने हेतु 9 फरवरी 1989 को मेवाड़ फिलेटली सोसायटी की स्थापना की और समय-समय पर प्रदर्शनियों के माध्यम से आम जनता को संग्रह की ऐतिहासिक उपयोगिता पर जानकारी देते रहते है।
घर फूंक किया तमाशा :
विनय भाणावत की पत्नी आशा भाणावत ने बताया कि घरेलू जरूरतों के लिए जब इनसे रूपये मांगती तो यह झल्ला उठते और रात-दिन संग्रह करने में लगे रहते। इस कारण कई बार गृह कलह की स्थिति रही, लेकिन इनके डाक टिकट संग्रह को राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पुरस्कार मिले तो समझ में आया कि मुझे इनके कार्य का सम्मान करना चाहिए और मुझे जो थोड़ी बहुत समझ है इनके कहे अनुसार सहयोग करती रहती हूं।
एक रूपये का नोट खरीदा 27 हजार में :
भाणावत ने पत्रकारों को बताया कि 786 के संग्रह में दुर्लभ एक रूपये का नोट भी शामिल है। जिसे उन्होंने मुम्बई के एक संग्रहकर्ता से 27 हजार रूपये में खरीदा। इस नोट की विशेषता यह है कि यह केवल 786 अंक का ही है।
सिक्कों का अद्भुत संग्रह :
विनय की विरासत को सहेज रहे उनके पुत्र धीरज एवं पुत्रवधू रीनी ने बताया कि संग्रह में 20 किलो से भी अधिक विभिन्न प्रकार के सिक्के संग्रहित है, जिसमें ताम्बे का छेद वाला सिक्का, मुगलकालीन सिक्के तथा दोस्ती लंदन आदि कई संग्रह है जिन्हें वे व्यवस्थित करने में लगे है।
गैलेरी की स्थापना होगी :
धीरज भाणावत ने बताया कि वे शीघ्र ही उनके निवास स्थान पर डाक टिकट, भारतीय करेंसी एवं सिक्कों से आमजन को जानकारी उपलब्ध कराने हेतु गैलेरी की स्थापना करेंगे। अभी इन सभी को व्यवस्थित करने का कार्य चल रहा है।
यहां उल्लेख है कि शहर में डाक टिकट एवं 786 नम्बर वाले नोटों के संग्रह के नाम से विख्यात विनय भाणावत के संग्रह को देखने के लिए उनके घर लोगों का तांता लगा रहता है।