दस लाख की लागत से बन रहा है
राज्यपाल ने कहा, पर्यटकों को मिलेगा नया ईको डेस्टीनेशन
उदयपुर। राज्यपाल मार्ग्रेट अल्वा ने उदयपुर प्रवास के आज तीसरे दिन जनजाति क्षेत्रीय विकास, एमपीडीए तथा मनरेगा के अन्तर्गत उदयपुर से 20 किलोमीटर दूर वनखंड केवडा़ की नाल पहुंच कर राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता परियोजना के अन्तर्गत विकसित किये गये इको टूरिज्म साइट का अवलोकन किया।
राज्यपाल अल्वा ने विकसित किये जा रहे इको टूरिज्म कॉम्पलेक्स के बारे में आशा जताई कि उदयपुर से जयसमन्द अभ्यारण्य जाने वाले पर्यटकों को अब उदयपुर से 20 किलोमीटर दूरी पर ही नया इको डेस्टीनेशन की सौगात मिलेगी। यहां पर्यटकों की आवाजाही बढे़गी जिससे स्थानीय जनजाति लोगों को रोजगार के नये अवसर मिलेंगे और उनकी आय में वृद्घि होगी। जिले के प्रभारी एवं ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज तथा जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री महेन्द्रजीतसिंह मालविया, संभागीय आयुक्त डॉ.सुबोध अग्रवाल, जिला कलक्टर हेमन्त कुमार गेरा, पुलिस अधीक्षक हरिप्रसाद शर्मा, मुख्य वन संरक्षक, उप वन संरक्षक (दक्षिण) ओ. पी. शर्मा, पंचायत समिति प्रधान सविता शर्मा, सरपंच शंकरलाल सहित बडी़ संख्या में वन प्रबंधन एवं सुरक्षा समितियों के सदस्य व ग्रामीणजन मौजूद थे।
राज्यपाल को उप वन संरक्षक ने बताया कि इस स्थल को पर्यटन की दृष्टि और अधिक विकसित करने हेतु केवडा़ की नाल में ’’ ईको टूरिज्म सुविधाओं का विकास ’’ अन्तर्गत इको टूरिज्म कॉम्पलेक्स का निर्माण कराया जा रहा है। इसके लिए 10 लाख रुपये आवंटित किये गये हैं। यहां 4 लाख रुपये से इन्टरप्रिटेशन सेन्टर , 3.25 लाख रुपये से रिटेनिंग वॉल व इको हट, 75 हजार रुपये से व्यू पोईन्ट मय ट्रेकिंग पथ, 1.25 लाख रुपये से साईनेज एवं दरवाजा आदि तथा 75 हजार रुपये से पेयजल आदि पर्यटक सुविधाओं का विकास किया जा रहा है।
राज्यपाल को दी गयी जानकारी के अनुसार इन कार्यो के फलस्वरुप धीरे- धीरे इस क्षेत्र से विलुप्त हो रही प्रजातियां पनपने लगी हैं। साथ ही लघु वन उपज के रुप में केवडा़ समिति के सदस्य टिमरु, आवंला, ईमली, उम्बीया, कोटबडी, बेर, जामुन, घास आदि उपयोग में लेने लगे है। यहां पर्यटकों की सुविधा हेतु समिति की तरफ से स्वंय सहायता समूह द्वारा टी-स्टाल चलाया जा रहा है।
राज्यपाल को जानकारी दी गई कि यहां किये गये कार्यों से वन संवर्धन और जनजाति लोगों को रोजगार मिला है वहीं पानी की उपलब्धता तथा वानस्पतिक सघनता बढ़ने से वन्यजीवों की संख्या में भी वृद्घि हुई है। यहां 6 किलोमीटर लम्बाई तथा 800 हैक्टेयर क्षेत्र में करीब 5 से 6 पेंथर की साईटिंग देखी जाती रही है। अन्य ऋतुओं सहित विशेषकर वर्षा ऋतु में यह स्थल अत्यन्त मनोरम होने से यहां बडी़ संख्या में पर्यटक आने लगे हैं।
राज्यपाल को अवगत कराया गया कि जनजाति क्षेत्रीय विकास योजना मद में हल्दुघाटी केवडे़ की नाल में 2 लाख रुपये से एक पौधशाला का निर्माण भी कराया जा रहा है।
बालिकाओं को प्रेरित किया पढ़ने के लिए
राज्यपाल बिना पूर्व कार्यक्रम के प्राथमिक विद्यालय पलूना एवं आंगनबाडी़ केन्द्र में पहुंची। उन्होंने विद्यालय में बच्चों से शिक्षा के स्तर का बातचीत द्वारा जायजा लिया। सभी बच्चों ने उनके आग्रह पर जब एक कविता अंग्रेजी में सुनायी तो वे भी उनके साथ शामिल हो गई।
उन्होंने विद्यालय में पकाये गये मध्यान्ह पोषाहार में दाल-रोटी का स्वाद भी चखा।
उन्होंनने किशोरी बालिका तारा, कविता, देवी और निशा से सबला बनाने व नियमित रुप से ग्रहण करने के बारे में जानकारी ली। जब उन्होंने उनके शिक्षा के स्तर के बारे में पूछा तो एक किशोरी बालिका 10वीं पास एवं अन्य 9वीं पास पायी गई। एक बालिका अभी भी पढ़ रही है। महामहिम ने उन सभी को आगे पढ़ने के लिए प्रेरित किया और कहा कि वे पढ़ लिखकर बीएड कर अध्यापक बने। आंगनबाडी केन्द्र पर पोषाहार में बनायी गई दाल-चावल की खिचडी को भी महामहिम ने चखकर देखा।
मनरेगा कार्य का अवलोकन
राज्यपाल ने निर्धारित कार्यक्रम के अतिरिक्त पिलादर गांव में ग्राम पंचायत द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना में किये जा रहे नहर निर्माण के कार्य का अचानक अवलोकन किया। उन्होंने ग्रामीणों को इस कार्य में सहयोग करने, कार्य पूरा होने पर श्रमदान से इसका रखरखाव करने एवं ग्राम को स्वच्छ रखने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर जनजाति क्षेत्रीय विकास एवं पंचायतीराज मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालविया, डॉ. सुबोध अग्रवाल, जिला कलक्टर हेमन्त कुमार गेरा आदि अधिकारी भी उपस्थित थे।