udaipur. पिछोला झील के सुधार की राष्ट्री्य झील संरक्षण योजना के चार वर्ष बीतने के बावजूद पिछोला के घाटों की हालत बदतर होती जा रही है। सबसे बडा गणगौर घाट मानव मल, पशुमल, शैम्पू-सर्फ के पाउचों से अटा पडा़ है।
अन्य घाटों पर मल मूत्र विसर्जन हो रहा है। इससे जल की गुणवता पर भी गहरा दुष्प्रदभाव पड़ रहा है।
झील संरक्षण समिति, डा. मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट, ज्वाला जन जाग्रति संस्थान, चांदपोल नागरिक समिति के तत्वावधान में रविवार को पिछोला का दौरा किया। दल में अनिल मेहता, नन्दकिशोर शर्मा, भंवरसिंह राजावत, तेजशंकर पालीवाल, गोपालसिंह राजावत, हरीश परमार सहित स्थानीय निवासी सम्मिलित थे।
इससे पूर्व चर्चा में तेजशंकर पालीवाल ने कहा कि पूरी आशंका है कि जलस्तर बढ़ने के साथ सीवरेज से झील का पानी बाहर निकल रहा है। फतहसागर में कई स्थाथनों से बंसियां टूट चुकी है तो कई जगह कमजोर हो चुकी है। काई जमने लगी है। इसमें से बदबू भी आती है।
अनिल मेहता तथा नन्दकिशोर शर्मा ने कहा कि संभागीय आयुक्त के सामने झीलों की वस्तुस्थिति को रखा जाएगा। परिचर्चा में भंवरसिंह राजावत, पूर्व पार्षद अब्दुल अजीज खान, ने कहा कि राष्ट्री य झील संरक्षण योजना के कोई प्रत्यक्ष व दूरगामी सुधार चिह्न नजर नहीं आ रहे है। राजावत ने कहा कि रिंग रोड की लोकेशन की गंभीर समीक्षा व आवश्याक सुधार जरूरी है।
Despite of so many “Jagrut” (aware) groups and intellectual mass….. such a condition of lake…. why? Who is responsible for such a grieve conditions……people or administration…..? The groups who is giving such comments, I would like to ask them only…..