कल रात बड़ा ही अच्छा सपना आया। अपने दादा देश के प्रथम व्यक्ति बन गए। पहले यही दादा सरकार के सेकंड नम्बर थे लेकिन अब देश के एक नम्बर पर आ गए। जैसा कि उन्होंने अपनी इच्छा तो कुछ समय पूर्व ही जाहिर कर दी थी कि राष्ट्रपति भवन का लॉन उन्हें बहुत अच्छा लगता है।
दादा तो बने जो बने, लेकिन अपने लिए एक रास्ता और खोल गए। अब हम भी जहां जाते हैं, सभी को बतलाते हैं कि भाई हम भी पत्रकार हैं। हो सकता है कभी हमारा भी नम्बर लग जाए…। जैसे ही दादा जीते, मानो जीत सोनियाजी या उनकी नहीं, अपनी हुई है। अपने जमात का आदमी अब देश का प्रथम व्यक्ति बन गया है। दादा भी पहले पत्रकार रह चुके हैं। बस यह पता चलते ही हम सबको बताने में जुट गए हैं कि हम भी पत्रकार हैं। हो सकता है कि सी पार्टी की नजर हम पर भी पड़ जाए और हमें भी बुलावा आ जाए। हम जहां जाते हैं वहां बताते हैं कि हम पत्रकार हैं। कभी हो सकता है हमारा भी राष्ट्रपति भवन के लॉन में घूमने का मन हो जाए।
बस कब रोज-रोज की खिच-खिच से छुटकारा मिले, यही सोच रहे हैं। इसकी तैयारी तो करनी पडे़गी न जाने कब नम्बर आ जाए। किसकी नजर हम पर भी पड़ जाए और कह दे कि आ जाइये साहब, हमारी पार्टी में आपकी बहुत जरूरत है। पार्टियों का भी क्या कहें, एक चुनाव आते ही भगवान राम को उनके घर में बिठाने को लेकर याद करती है तो दूसरी महंगाई से निजात दिलाने की बात करती है, भले ही बाद में महंगाई और बढ़ा दे।
और अब अन्ना भी उसी राह पर चल पड़े हैं कि तीसरी पार्टी बनाएंगे। अरे राजनीति क्या इतनी अच्छी हो गई है कि उसमें अन्ना को कूदना पड़े। कहते हैं कीचड़ को साफ करने के लिए कीचड़ में उतरना पड़ता है। जरूरी थोड़े ही है, बाहर से निर्देश देकर भी तो कीचड़ साफ करवाया जा सकता है।
(व्यंग्य)
Very well written sir… Sapne dekhenge tabhi to pure honge… 🙂
Par for Anna ji, mera maan-na hai, vo jo kar rahe hain vo sahi h, is corrupt govt. k saamne baar-baar haath failaane se achchha h ki use barabar ki takkar di jaaye…