उदयपुर। इस संसार में अपने-अपने ईष्ट देवताओं को पूजने का सभी को अलग-अलग तरीका है। कोई मन्दिरों ,मस्जिदों में तो कोई गिरिजाघरों में भगवान को स्थापित करता है लेकिन कोई भी व्यक्ति अपने मन में भगवान को विराजित नहीं करता है। हर व्यक्ति धार्मिक और परोपकारी तब ही बनेगा जब तक वह अपने मन में भी भगवान को नहीं बसाएगा।
ये विचार सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में चातुर्मास के अवसर पर आयोजित प्रात:कालीन धर्मसभा में आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज ने व्यक्त किये। आचार्य ने कहा कि हिन्दू मान्यता के अनुसार साढ़े तीन करोड़ देवता इस संसार में वास करते हैं। जैन धर्म में 29 तीर्थंकरों को विशेष रूप से पूुजा जाता है। मानाकि सभी देव आराध्य हैं। इस पर सभी विश्वास करते हैं, लेकिन अपनी आत्मा पर हम विश्वास नहीं करते, भीतर बैठे परमात्मा पर विश्वास नहीं करते। विडम्बना है कि हमें अपने आप पर विश्वास नहीं, हमारी आत्मा पर हमारी श्रद्धा नहीं। जिस दिन भगवान को मन्दिर के साथ-साथ हम अपने मन में बसा लेंगे उस दिन से आत्मा से परमात्मा तक की यात्रा प्रारम्भ हो जाएगी।
15 अगस्त को होंगे प्रवचन : आदिनाथ दिगम्बर जैन चेरिटेबल ट्रस्ट एवं पावन वर्षायोग समिति के प्रन्यास मण्डल अध्यक्ष भंवरलाल मुण्डलिया ने बताया कि आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज के स्वतंत्रता दिवस पर विशेष प्रवचन राष्ट्र के नाम सम्बोधन सेक्टर 11 स्थित आलोक स्कूल के कांफ्रेंस हॉल में दोपहर 2.30 बजे होंगे। इसके बाद होने वाले कार्यक्रमों में राष्ट्रीय भजन, देशभक्ति गीत, देशभक्ति पर आधारित नृत्यनाटिका व विचित्र वेशभूषा व भाषण प्रतियोगिता के अलावा शाम 7.30 बजे से एक शाम शहीदों के नाम कारगिल नाटिका का प्रस्तुतीकरण होगा।