मुरारी बापू इन नाथद्वारा कार्यक्रम, पांचवें दिन उमड़ी जनमेदिनी
नाथद्वारा। पार्श्व गायिका सुनिधि चौहान ने कहा कि मुरारी बापु के सामने प्रस्तुति एक विशेष आयोजन है। मैं श्रीजी के धाम में मुरारी बापू के सामने प्रस्तुति देकर धन्य होऊंगी। वे यहां मुरारी बापू इन नाथद्वारा फेस्टीवल के तहत पत्रकारों से बातचीत कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि मुझे पहली बार नाथद्वारा आने और पहली ही बार बापू के सामने अपने संगीत कला को प्रदर्शित करने का मौका मिला है जो मेरा सौभाग्य है। मेरा कोई एक गुरु नहीं है। हर दिन अच्छे गीतकार से संगीत सीखने की कोशिश करती हुँ । मुरारी बापू इन नाथद्वारा कार्यक्रम के बारे में सुनिधि ने कहा कि इतना भव्य राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम आयोजित करना अपने आप में एक मायने रखता है।
बच्चे के रूप में अपना गायन कैरियर शुरू करने वाली सुनिधि ने चार साल की उम्र में अपना पहला प्रदर्शन दिया था। एक बार जब टीवी एंकर तबस्सुम ने उनकी प्रतिभा को देखा तो इस युवा गायिका के कौशल को विकसित करने के लिए उसके परिवार को मुंबई बुला लिया। पहली बार टीवी चैनल के माध्यम से प्रसारित किया गया संगीत शो मेरी आवाज सुनो के माध्यम से चर्चा में आई सुनिधि ने कैरियर के रूप में गायन को ही अपने जीवन का आधार बना लिया। सुनिधि को फिल्मफेयर के अलावा नई संगीत प्रतिभा पुरस्कार तथा दो स्टार स्क्रीन पुरस्कार, दो आईफा पुरस्कार और एक ज़ी सिने अवॉर्ड जीतने का मौका मिला है।
जीवन को तृप्त कर देते हैं मां और प्रेम : मुरारी बापू
मुरारी बापू ने कहा कि मां और प्रेम का होना जीवन में बहुत आवश्यक है। यह जीवन को तृप्त कर देता है । प्रेम के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं है । मिराज ग्रुप की ओर से आयोजित मुरारी बापू इन नाथद्वारा कार्यक्रम के तहत चल रही रामकथा के पांचवे दिन व्यासपीठ से बापू ने कहा की श्रीजी का ध्यान धरकर दर्शन में जाने से जीवन में सबकुछ आनंदमय हो जाता है। जीवन में खुशहाली आती हे और सब कुछ मिल जाता है। लालबाग स्टेडियम में उपस्थित 80 हजार के करीब श्रोताओं की उपस्थिति में कथा की शुरूआत शंखनाद व हनुमान चालिसा के बाद रामधून के साथ हुई।
बापू ने कहा कि नौ दिवसीय आयोजन में प्रेम की ही वार्ता होगी। प्रेम प्रकट हो जाए तो परमात्मा प्रकट हो जाए। बड़ा सीधा सा दो ओर दो चार वाला गणित है। उन्होंने मानस के माध्यम से कहा कि जनक का प्रेम गुप्त था लेकिन राम को देखकर प्रेम प्रकट हो गया। भागवत दर्शन से प्रेम प्राप्त होता है ,स्वास्थ्य दर्शन से प्रत्यक्ष प्रेम प्राप्त हो जाता है। बापू ने कहा की प्रभु के दर्शन से भी प्रेम पनपता है। उन्होंने एक शेर के माध्यम से कहा कि ‘ उसने देखते ही मुझे दुआओं से भर दिया, मैंने अभी सजदा भी नहीं किया था। बापू ने संत की परिभाषा का वर्णन करते हुए बताया कि संत वही होता हे जो शांत, सुशील, कुलीन व ध्यान निष्ठ होता है। प्रवचन सुनने के लिए राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उतरप्रदेश, हरियाणा सहित संपूर्ण भारत से हजारों लोगों का नाथद्वारा में हुजूम उमड़ पड़ा।