udaipur. आलोक संस्थान के आलोक सी. सै. स्कूल हिरण मगरी से. ११ के व्यास सभागार में विराट समूह ध्यान सभा का आयोजन किया गया जिसमें विद्यालय के सभी अध्यापकों और बालक-बालिकाओं ने उत्साह के साथ भाग लिया।
आलोक संस्थान के निदेशक डॉ. प्रदीप कुमावत ने ध्यान योग के दौरान बालकों को सम्बोधित करते हुए जीवन प्रबंधन से जुड़ी हुई अत्यंत महत्त्पूर्ण जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जीवन में शिष्टह व्यवहार सबसे महत्वपूर्ण है। जो व्यक्ति अपने शिष्टा व श्रेष्ठस आचरण से दूसरों के हृदय में स्थान बनाते है वे ही समाज में अच्छे व्यक्ति के रूप में जाने जाते है।
उन्होंने कहा कि अपने श्रेष्ठे व शिष्टन आचरण के कारण ही व्यक्ति समाज में सम्मान पाता है और शिष्टकता के चलते ही व्यक्ति दूसरों से अधिक श्रेष्ठ त्व का पद पाता है। डॉ. कुमावत ने भगवान श्रीराम व स्वर्ण मृग का प्रसंग बताया। लक्ष्मण ने लक्ष्मण रेखा खींची लेकिन सीता ने उसका भी उल्लंघन किया जिसका परिणाम भुगतान पड़ा। अहंकार पर बात करते हुये डॉ. कुमावत ने कहा कि रावण ब्राह्मण एवं शिव भक्त होते हुए भी अंहकार के कारण दुर्गति को प्राप्त हुआ। दुर्योधन के अशिष्ट व्यवहार के कारण समस्त कौरव वंश का नाश हुआ। अन्त में ध्यान सभा का समापन करते हुये कहा कि किसी को कष्टव पहुंचे ऐसे वचनों को त्याग देना चाहिये। दूसरों के प्रति सम्मान का भाव रखे। जीवन प्रबंधन करने के लिये हमारे जीवन मूल्यों को दिनचर्या में उतारने की आवश्यखकता है।