जागरूकता के अभाव में नहीं हो रहा नेत्रदान
udaipur. अब नेत्रदान करने वालों को सुकून का अहसास करना चाहिए कि उनके नेत्रदान से चार लोगों की जिंदगी रोशन हो सकती है। पहले एक नेत्रदान से सिर्फ एक या दो लोगों को ही रोशनी मिल पाती थी लेकिन अब विज्ञान ने इतनी प्रगति कर ली है कि कोर्निया (काली टिक्कीम) को विभाजित कर अलग अलग प्रत्यारोपित किए जा सकते हैं।
अलख नयन मंदिर में कोर्नियल रिप्ले समेंट के अब तक 60 से अधिक ऑपरेशन हो चुके हैं। अलख नयन मंदिर के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. एल. एस. झाला ने आज पत्रकारों से बातचीत में बताया कि जागरूकता के अभाव में आवश्य कता के अनुरूप नेत्रदान नहीं होने लोगों को रोशनी नहीं मिल पाती जबकि नेत्रदान के बारे में फैली भ्रांतियां इतनी हैं कि मृतक के परिजन नेत्रदान को तैयार ही नहीं हो पाते। मृत्यु के बाद छह घंटे तक व्याक्ति की आंखें ली जा सकती हैं। इसमें हमारी टीम को मात्र 10 मिनट लगते हैं। जब तक जागरूकता नहीं आएगी, यह कार्य संभव नहीं है।
उन्होंने बताया कि देश में प्रतिवर्ष 80 लाख लोगों की मृत्यु होती है। प्रतिवर्ष एक लाख कोर्निया की आवश्योकता होती है जबकि उसकी तुलना में मात्र 45 हजार कोर्निया ही प्राप्त हो पाते हैं जिससे 55 हजार लोगों को रोशनी नहीं मिल पा रही है। उन्होंने बताया कि कोर्नियल अंधता का उपचार मात्र कोर्नियल प्रत्यारोपण से ही संभव है। प्रत्यारोपण एक शल्य प्रकिया है जहां बीमार एवं विकृत कोर्निया को हटाकर मृतक दानदाता के स्वस्थ कोर्निया द्वारा प्रत्यारोपित किया जाता है। कोर्निया प्रत्यारोपण दृष्टिह्वास, दर्द को कम करना, बीमार एवं विकृत कोर्निया के आकार को ठीक कर सकता है।
विश्व के एक चौथाई नेत्रहीन भारत में
डॉ. झाला ने बताया कि वर्तमान में भारत विश्व के एक चौथाई नेत्रहीनों का देश बना हुआ है और यह सब जागरूकता का अभाव है। देश में 12 मिलियन नेत्रहीन है जिनमें 27 पतिशत बच्चे सम्मिलित है। मोतियाबिन्द, कालापानी एवं उम्र सम्बन्धी मेक्युलर डिजनरेशन के बाद कॉर्निया दृष्टि हीनता विश्व नेत्र हीनता का चौथा सबसे प्रमुख कारण है। प्रतिवर्ष देश में 30 हजार लोग अंधता के शिकार हो रहे है। प्रतिवर्ष हमें एक लाख मांग की तुलना में 45 हजार कोर्निया ही प्राप्त हो रहे है।
नेत्रदान का संकल्प करें
डॉ. झाला ने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति को नेत्रदान का संकल्प पत्र भर नत्रहीनों के लिए अपने नेत्रदान कर एक पुण्य का कार्य करना चाहिए ताकि उनकी मृत्यु के उपरान्त उनके नेत्र से नेत्रहीन सुन्दर दुनिया को देख सके। नेत्रदान एक एक वर्ष की उम्र के बालक से लेकर कोई भी कर सकता है। जिसमें उम्र कभी बाधा नही बनती है। परिजन की मृत्यु उपरान्त उसका मृत्यु प्रमाण पत्र अवश्य बनाना चाहिए। मृत्यु हो जाने पर मृतक की आंखें बंद कर दें, कमरे का पंखा भी बंद कर दें, सिर के नीचे दो तकिये लगा दे तथा छह घंटे के भीतर आंखे दान हो जाए, इसका ध्यान रखकर नजदीक आई बैंक में फोन कर दे।
भ्रांतियां
नेत्र दान करने पर जहाँ से आँखे निकाली जाती है वहाँ छेद रह जाता है एवं चेहरा कुरूप लगता है जबकि वास्तविकता में मात्र नेत्र का कोर्निया ही निकाला जाता है। जिसमें न ही चेहरा बिगड़ता हैं और रहा छेद का प्रश्न तो उस पर कृत्रिम कॉर्निया लगा दी जाती है। मोतियाबिन्द या किसी अन्य शल्य चिकित्सा से गुजर चुका,मधुमेह या अतिरक्तदाब से ग्रसित व्यक्ति भी नेत्रदान कर सकते है। नेत्र दाता एवं प्राप्त करने वाले दोनों ही व्यक्तियों की पहचान गुप्त रखी जाती है। अलख नयन मंदिर संस्थान पर इन नंबरों पर 0294-24213050,2528895 पर फोन कर नेत्रदान संबंधी जानकारी दे सकते है।