udaipur. मानव धर्म का अनुपालन करना ही मानवता है। दूसरों को दुखी देखकर जिसकी आंखें नहीं भीगे वह इंसान नहीं हो सकता। दूसरों की पीड़ा की जो अपनी पीड़ा नहीं समझें, जो दूसरों को दुखी देखकर हंसे वह इंसान नहीं शैतान हैं।
ये विचार सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में चातुर्मास के अवसर पर आयोजित प्रात:कालीन धर्मसभा में अध्यात्म योगी आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज ने व्यक्त किये। हम भगवान बनने की चर्चा तो रोज करते हैं लेकिन एक सच्चे इंसान नहीं बन पाते। भगवान तो 18 दोष रहित होते हैं। वे सर्वज्ञ हितोपदेशी व वीतरागी होते हैं। इनके जैसा यदि हमें बनना है तो पहले इंसान बनना पड़ेगा क्योंकि इंसानियत धर्म को निभाये बिना कोई भी भगवान नहीं बन सकता। इंसानियत ही सर्वश्रेष्ठ है।
श्रावकाचार शिविर का चौथा दिन-रत्नकरण्डक श्रावकाचार प्रशिक्षण शिविर के अन्तर्गत शिविरार्थी रोज बढ़ रहे हैं। आचार्य द्वारा ठीक प्रात: 9.00 से 9.45 बजे तक रोज ग्रन्थ का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें श्रावकों के कर्तव्य के बारे में विशद रूप से ज्ञान दिया जाता है। 29 अगस्त को सुकुमालनन्दी महाराज का 34वां समता दिवस मनाया जाएगा। कार्यक्रम को भव्यता प्रदान करने के लिए गुरूवार को आयोजक मण्डल की बैठक रखी गई जिसमें आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आवास, भोजन और अन्य व्यवस्थाओं को लेकर चर्चा की गई।