udaipur. भगवान वो ही है जो सर्वज्ञ, वीतरागी और हितोपदेशी हों। मानव मात्र के कल्याण की बात करने वाला ही उपदेशक होता है। भगवान सबसे बड़े उपदेशक होते हैं। उनका उपदेश सभी जीवों के लिए होता है।
वैसे भी वक्ता वही हैं जो दूसरों के हित की बात करें, दूसरों की भलाई सोचने वाला ही महान होता है। भगवान ओर गुरू वो ही कहलाते हैं जो पृथ्वी की सारी जनता के दुखों को दूर करने वाली शिक्षा दें। ये उद्गार आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज ने सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में चातुर्मास के अवसर पर आायेजित प्रात:कालीन धर्मसभा में व्यक्त किये। आचार्यश्री ने कहा कि इस संसार में श्रोता भी बहुत है, वक्ता भी बहुत हैं। बातों के बादशाह तो गली- गली मे मिल जाएंगेलेकिन आचरण के आचार्य बनना बहुत मुश्किल है। जो आचरण में लाकर सबका भला करे, वही श्रेष्ठ हैं।
समता दिवस पत्रिका का विमोचन : धर्मसभा के बाद आगामी 28-29 अगस्त को टाउन हॉल में आयोजित समता दिवस पत्रिका का विमोचन आचार्यश्री सुकुमालनन्दी जी के सानिध्य में समिति के पदाधिकारियों द्वारा किया गया।