गणगौर घाट पर दो दिवसीय ‘मल्हार’
udaipur. पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से गणगौर घाट पर आयोजित संगीत और नृत्य उत्सव ‘‘मल्हार’’ शनिवार को प्रारम्भ हुआ। जिसमें गोवा के सोनिक वेलिंगकर का बाँसुरीवादन तथा पार्वती दत्ता का नर्तन कला रसिकों को भरपूर रास आया। वहीं मयूर नृत्य ने अपनी ध्माल से रंग जमाया।
पिछोला झील के किनारे गणगौर घाट पर आयोजित समारोह का उद्घाटन संभागीय आयुक्त श्री सुबोध अग्रवाल ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। इसक पश्चात गोवा के कला एवं संस्कृति निदेशालय से आये युवा बाँसुरी वादक सोनिक वेलिंगकर ने अपनी सधी हुई फूँक से बाँसुरी की तान से पिछोला की लहरों को तरंगित सा कर दिया। वेलिंगकर ने अपनी वादन में पहले ‘‘मेघ राग’’ प्रस्तुत की जिसमें उन्होंने आलाप तथा झपताल में गत प्रस्तुत की जो एक ताल व तीन ताल में निबद्ध थी। प्रस्तुति में एक अनुभव और कला की बारीकियाँ रसिकों को देखने को मिली वहीं तबले के साथ उत्कृष्ट तारतम्य ने वादन को रसमय बनाया।
पुणे विद्यापीठ व गंधर्व महाविद्यालय से संगीत विषारद की उपाधि प्राप्त सोनिक ने इसके बाद उन्होंने खमाज में निबद्ध एक धुन प्रस्तुत की जिसमें बाँसुरी के सुरों ने वातावरण में मिठास सा घोल दिया। सोनिक के साथ तबले पर शिवराम उर्फ अमर मोपकर ने संगत की।
कार्यक्रम में औरंगाबाद की सुप्रसिद्ध कथक नृत्यांगना पार्वती दत्ता व उनकी सखियों की प्रस्तुति ने अपनी मोहक भाव-भंगिमाओं से मेघ मल्हार के रंग को साकार हयिा। कथक की शुरूआत सरस्वती वंदना से हुई इसके बाद पार्वती दत्ता ने कालिदास के प्रसिद्ध काव्य ऋतु संहार के श्लोक ‘‘‘‘ससीकराम् बोधर मत्त कुंजर, तडि़त पताको अशनिशब्द मर्दल’’ के जरिये वर्षा ऋतु के आगमन का वर्णन मोहक अंदाज में किया गया। राग मेघ मल्हार पर आधारित व तीन ताल में निबद्ध इस रचना में पार्वती दत्ता ने कथक के तत्व तिहाई, अ्कड़े, छवि आदि का प्रदर्शन उत्कृष्ट ढंग से किया। तबले की थाप तथा गायन से भाव भंगिमाओं का मिश्रण अनूठा बन सका। इसके बाद उनके साथ कन्नगी गोसावी, शीतल भामरे, सृष्टि जुन्नरकर व राधिका शेलार ने तराना पेश किया। द्रुत गत में तराने पर एक साथ नर्तन करती नर्तकियों ने पिछोला के किनारे अनूठी छटा सी बिखेर दी। इसके बाद राग मेघ मल्हार में निबद्ध ठुमरी को दर्शको ने भरपूर सराहा। कथक की प्रस्तुति में तबले पर विवके मिश्रा, सारंगी पर संदीप मिश्रा, गायन-जयन्त निरलकर तथा बाँसुरी पर सुनील अवचर ने संगत की।
‘‘मल्हार’’ के पहले दिन अंतिम प्रस्तुति भरतपुर के कलाकारों का ‘‘मयूर नृत्य’’ था जिसमें वर्षा ऋतु में नृत्यरत मयूरों ने मंच पर अपना रंग जमाया तथा वर्षा की रिमझिम का आभास करवाया। कार्यक्रम का संयोजन श्री तनेराज सिंह सोढ़ा द्वारा किय गया।