– मुरारी बापू इन नाथद्वारा कार्यक्रम-
– मानस प्रेम के आठवें दिन महाकुंभ में उमड़ा लोगों का ज्वार
udaipur. मुरारी बापू इन नाथद्वारा कार्यक्रम के तहत आयोजित सांस्कृतिक संध्या के अंतिम दिन शनिवार को मुशायरे का आयोजन हुआ। मुशायरे में भारत के ख्यातनाम कलाकरों ने शिरकत की। मुरारी बापू के सानिध्य में आयोजित कार्यक्रम में दीप्ति मिश्र को छोड़ सभी मुस्लिम शायर मौजूद रहे।
मिराज ग्रुप द्वारा आयोजित इस मुशायरे में आपसी सौहार्द का प्रेम देखने को मिला और उसकी गवाह 40000 आँखें बनी। मिराज ग्रुप द्वारा आयोजित यह मुशायरा शाम ढलते ढलते श्रीजी के धाम में एक यादगार मुशायरे में तब्दील हो गया।
शायर शकीलुद्दीन शकील, अकील नोमानी, मंसूर उस्मानी, वसीम बरेलवी, निदा फ़ाज़ली, शकील आज़मी, मलिक जादा जावेद, मल्लिका नजीम, दीप्ति मिश्र, अलीना इतरत रिज़वी जैसी नामचीन हस्तियों ने जब अपने कलाम पढ़े तो पांडाल तालियों, सीटियों और वाह-वाह से गूंज उठा. मंच संचालक मंसूर उस्मानी ने चुटकी लेते हुए कहा कि दाद देने में व्यक्ति की अदा होती है। वो कैसे भी दे – सीटी बजाकर, ताली बजाकर या वाह-वाह कर के. इसमें श्रोता स्वतंत्र है.
प्रेम भीड़ का विषय नहीं है-मुरारी बापू
मिराज गु्रप की ओर से आयोजित मुरारी बापू इन नाथद्वारा कार्यक्रम के तहत महाकुंभ का आभास करा रही रामकथा मानस प्रेम के आठवें दिन व्यास पीठ से प्रवचनों की बौछारें करते हुए मुरारी बापू ने प्रेम प्रकट होने की व्याख्या को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जब इन्सान को किसी अन्य इन्सान की अच्छाइयों और उसकी खूबियों के बारे में जानकारी मिले और उन्हें सुनकर उसे खुशी हो जाती है तो वहा प्रेम स्वत: ही प्रकट हो जाता है। बापू ने कहा कि प्रेम धीरे-धीरे बड़े और निरंतर बढ़ता रहे तो हमेशा प्रेम बना रहता है। प्रेम भीड़ का विषय नहीं है, एकांत का विषय है। उन्होंने मैं तुझे देखूं तू मुझे देख और देखते ही देखते हो जाएं एक…, नजर ने नजर से मुलाकात कर ली रहे , दोनों खामोश और बात कर ली… शेर सुनाया तो पांडाल तालियों से गूंज उठा। बापू ने अहंकार के बारे में बताते हुए कहा कि अहंकार कहता है कि भुजा देखो, लेकिन शास्त्र कहता है की हाथों को देखो कि उन्होंने इस संसार में किया क्या है। हाथों का महात्म्य बताते हुए बापू ने कहा की , अयमे हस्तो भगवान…, कराग्रे वसते लक्ष्मी कर मुले सरस्वती , कर मध्ये तू गोविन्दः , प्रभाते कर दर्शनं श्लोक के माध्यम से हाथों को प्रतिदिन सुबह उठकर दर्शन करने का अनुरोध किया।
बापू ने कहा कि मनुष्य को अपने धर्म और समाज की भाषा को हमेशा आदर से बोलना चाहिए। बापू ने कहा की असत्य और निंदा के समान कोई पाप नहीं हो सकता है । इसलिए जीवन में कभी भी असत्य के सहारे नहीं चलना चाहिए। बापू ने कहा कि जहां वस्तु या विचार में जरूरत से अधिक बढ़ोतरी हो जाए, वहां नियम लागू करना आवश्यक हो जाता है। उन्होंने तत: किम् (उस से क्या ) शब्द की व्याख्या करते हुए शंकराचार्य कृत गुरु सुनाया । मुरारी बापू ने जीवन में नवीनता का महत्व बताते हुए कहा कि जिस प्रकार हर रोज वस्त्र बदलते हो, वैसे ही वैचारिक शुद्धता भी लानी चाहिए।
संस्कृत भी बोलना चाहिए-
संस्कृत भाषा के बारे में बताते हुए बापू ने कहा, लोग कहते हैं कि संस्कृत की मार्केट में अहमियत नहीं हैं। कटाक्ष करते हुए बापू ने कहा कि यह भाषा देवताओं की भाषा है। “माँ ” (मदर) की मार्केट वैल्यूा नहीं होती. संस्कृत तो सब भाषाओँ की जननी है. आज कथा में राजस्थान के शिक्षामंत्री बृजकिशोर शर्मा, लोकसभा सचेतक गिरिजा व्यास उदयपुर नगर परिषद् सभापति रजनी डांगी, विधायक राजसमन्द किरण महेश्वरी, प्रदीपकुमार सिंह, रामदास अग्रवाल, लालसिंह झाला आदि कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे.