कच्ची बस्ती के बच्चों के साथ ‘‘वेदान्ता खुशी’’ की कार्यशाला
स्वास्थ्य-शिक्षा-सुपोषण की महत्ता पर जोर
udaipur. वेदान्ता ग्रुप के अभियान ‘खुशी’ के तहत मल्ला तलाई कच्ची बस्ती के बच्चों के साथ अभियान के प्रतिनिधियों ने शानदार कार्यशाला का आयोजन किया। प्रतिनिधियों ने एक दिन पूर्व बस्ती में पहुंचकर बच्चों की स्थिति को देखा और पाया कि ऐसे कई बच्चे हैं जो पढ़ना चाहते हें लेकिन इनमें स्वास्थ्य व सफाई के प्रति जागरूकता नहीं है।
‘वेदान्ता खुशी’ के प्रतिनिधियों ने बच्चों से बातचीत कर स्वास्थ्य के बारे में जागरूक किया व तथा अगले दिन हुई कार्यशाला की जानकारी दी। प्रतिनिधियों ने कार्यशाला में स्वकच्छ , नहा-धोकर, आने की बच्चों से वादा लिया। स्वनच्छेता के लिए प्रतिनिधियों ने बच्चों को आवश्यक सामग्री भी दी।
कार्यशाला में बच्चों को आकृतियों में रंग भरना, व्यायाम करना, बडे़ बुजुर्गों के प्रति आदर सम्मान करना सिखाया गया। दो दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य गरीब बच्चों में शिक्षा, स्वास्थ्य व सुपोषण की अलख जगाना था। बस्तीव के एक चौराहे पर ही कार्यशाला की गई।
बस्ती के युवाओं ने आश्वस्त किया कि चौराहे के पीछे कचरे के ढेर की वे खुद सफाई करेंगे ताकि कार्यशाला सही तरीके से हो सके। कार्यशाला के दिन 2 से 15 वर्ष की आयु के बीच अपेक्षा से अधिक करीब 125 बच्चे समय से पूर्व वहां मौजूद थे।
कार्यशाला का आरंभ वंदेमातरम् से हुआ। फिर बच्चों को सामान्या स्वास्थ्य, स्वच्छता की जानकारी दी गई। बच्चे सभी नहा-धोकर, स्वंच्छ होकर आए थे। इसमें बच्चों के माता पिता व अन्य युवाओं ने भी हिस्सा लिया। प्रत्येक बच्चे् को चित्रों की एक कॉपी व रंग की डिबिया दी गई। खाली चित्रों में रंग भरने में बच्चे ऐसे लगे कि बस.. किसी को समय का ध्यान ही नहीं रहा।
संजय, शिवा, विशाल, मुकेश, कालू, मधू, मनीषा, गंगा, काजल, पूजा, जमना, राज, सुमन, काली, अंजलि आदि बच्चोंि ने बताया कि वे पढ़ाई के बहुत इच्छुक हैं तथा किसी भी तरह उनकी बस्ती में या आसपास के क्षेत्र में स्कूल खोल दिया जाए।
कार्यशाला के दौरान बच्चे यही कहते रहे कि ‘सर हमारा स्कूल खुलवा दीजिए, हम पढऩा चाहते हैं।’ रंग भरने में उनके सधे हुए हाथ उनकी कल्पना एवं रचनात्मक सोच के प्रतीक थे।
चित्रों में निपुणता से रंग भरने वाले पांच लडक़ों व पांच लड़कियों को पुरस्कृत करने का भी निर्णय किया गया था। पुरस्कार मे एक पेन्सिल बाक्स, एक पेन्सिल, एक रबर, स्केल तथा एक शॉर्पनर रखा गया ताकि बच्चे घर जाकर भी लिख सकें।
तकरीबन तीन घंटे से अधिक चली कार्यशाला में सभी बच्चों ने बहुत उत्साह, एकाग्रता तथा संयम से भाग लिया । गौरतलब बात यह भी रही कि बच्चों के माता—पिता भी इस कार्यशाला में बच्चों का साथ रंग भरते दिखाई दिये।
अंत में बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सभी उपस्थित बच्चों को खाने के लिए फल दिये गये जिसे बच्चों ने वहीं खाए। कार्यशाला आयोजित करने में ‘वेदान्ता खुशी’’ के प्रतिनिधियों का प्रयास सराहनीय रहा।
‘वेदान्ता खुशी’ अभियान के प्रमुख तथा हिन्दुस्ता न जिंक के हेड (कॉर्पोरेट कम्यू निकेशन) पवन कौशिक ने बताया कि बच्चों को दी जाने वाली हर वस्तु का चुनाव प्रतिनिधियों की देखरेख में हुआ तथा जहां से भी यह सामान खरीदा गया उन दुकानदारों ने भी सम्पूर्ण सहयोग दिया।
वेदान्ता खुशी के प्रतिनिधियों में वेदान्ता की ओर से प्रद्युम्न सोलंकी, प्रणव जैन, मैत्रेयी सांखला तथा डीपीएस, उदयपुर स्कूल के बच्चे, प्रांजल कौशिक, प्रतीक कोठारी, मानसी सोलंकी, ओशी कावडिय़ा तथा दिव्याद दोशी ने कार्यशाला को सफल बनाया।
कौशिक ने बताया कि ‘वेदान्ता खुशी’ सिर्फ केवल एक शब्द मात्र ही नहीं बल्कि एक ऐसी अनुभूति है जिसे महसूस करने पर एक आंतरिक प्रसन्नता, आंतरिक सन्तुष्टि तथा शान्ति महसूस होती है। भारत का नागरिक होने से हमारी जिम्मदारी बन जाती है कि हम अपने देश में एक बड़ी संख्या में मौजूद इन वंचित बच्चों के समुचित विकास के लिए कार्य करें तथा ना सिर्फ वेदान्ता खुशी अभियान को प्रचारित करे अपितु इन बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य तथा सुपोषण के प्रति सजग रहें। इन बच्चों के चेहरों पर खुशी तभी आएगी, जब हम सब मिलकर इन बच्चों के प्रति समर्पित भाव से अपना योगदान देंगे।