हिन्दी दिवस पर हुए कई आयोजन सूचना केन्द्र, श्रमजीवी महाविद्यालय में विचार गोष्ठी
udaipur. प्रतिवर्ष की भांति हिंदी दिवस पर परंपरागत रूप से शहर के विभिन्नस संस्थानों में विभिन्ने आयोजन हुए। सूचना केन्द्रव में जहां विचार गोष्ठी हुई वहीं राजस्थान विद्यापीठ के श्रमजीवी महाविद्यालय में भी गोष्ठीन का आयोजन हुआ।
सूचना एवं जनसम्पर्क कार्यालय तथा नेहरू युवा केन्द्र के संयुक्त तत्वाधान में सूचना केन्द्र में आयोजित विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए सीएस चूण्डावत ने कहा कि अन्य भाषाओं का ज्ञान होना अच्छी बात है लेकिन मातृभाषा हिन्दी को प्राथमिकता देनी होगी। विश्व में हिन्दी एकमात्र ऐसी भाषा है जो अधिकतम लोगों द्वारा प्रयोग में ली जाती है।
पत्रकार डॉ. मुनेश अरोडा़ ने कहा कि आज आवश्यकता इस बात कि है कि सभी को देश प्रेम की खातिर हिन्दी भाषा से जुड़कर एकता का परिचय देना होगा। उन्होंने कहा कि सरकारी कामकाजों में हिन्दी का अधिकाधिक प्रयोग हो। नेहरू युवा केन्द्र के युवा समन्वयक पवन कुमार अमरावत ने कहा कि हम हिन्दी भाषा के प्रयोग के क्षेत्र में पिछड़ रहे हैं, लेकिन अन्य कई क्षेत्रों में नवीन ऊंचाईयां छू रहे हैं। गोष्ठी में पुस्तकालयाध्यक्ष एल. आर. शर्मा ने भी विचार व्यक्त किए। सहायक जन सम्पर्क अधिकारी पवन कुमार शर्मा ने स्वागत उद्बोधन दिया। सहायक जन सम्पर्क अधिकारी टी. आर. कण्डारा ने धन्यवाद दिया।
हिंदी के अस्तित्व को खतरा नहीं
श्रमजीवी महाविद्यालय में प्रो. नवल किशोर शर्मा ने कहा कि हिंदी के उत्कर्ष और अपकर्ष को यदि साथ रखकर देखा जाए तो हम पाएंगे कि यह कभी समाप्त नहीं हो सकती। प्रजातांत्रिक राजनीति का हिंदी के आस्तित्व को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका है। बाजारवाद भी हिंदी के विस्तार में सहायक है। हिंदी के समक्ष अस्तित्व का नहीं बल्कि वर्चस्व का भी संकट है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. प्रदीप पंजाबी ने कहा कि जिस तरह वैश्विक परिदृश्य में भारत आर्थिक महाशक्ति के रूप में पहचान बना रहा है, इस आधार पर कहा जा सकता है कि हिंदी भी एक विश्व भाषा के रूप में स्थापित हो जाएगा। डॉ. एस के मिश्रा ने बताया कि हर सभ्यता का जन्म व पतन होता है। उसी प्रकार भाषा भी जन्म लेती है व उनका भी पतन होता है। स्वागत भाषण डॉ. मलय पानेरी ने दिया।