udaipur. तपस्वी मुनिराज प्रशमरत्न विजय महाराज की पावन निश्रा में श्री शान्तिनाथ श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ हिरण मगरी से.4 स्थित शान्तिनाथ जिनालय में पयुर्षण धूमधाम से मनाया जा रहा है।
इस अवसर पर आयोजित धर्मसभा में प्रशमरत्न महाराज ने 24 तीर्थंकरों के बारें में वर्णन करते हुए कहा कि इस भारतखण्ड में जब-जब भी अधर्म बढ़ता है तब-तब मनुष्य अधिक दुखी होता जाता है। तब जाकर तीर्थंकर धरती पर अवतरित हो कर धर्म की स्थापना करते है। उन्होनं बताया कि मनुष्य अपने-अपने पाप कर्मो से दुखी होता है। इस भव में पाप करने से अगले जन्म में दुख भोगना ही पड़ता है। जैन धर्म के सिद्धान्तों का पूर्णतया पालन करने पर मनुष्य द्वारा पुण्य कर्म बंधन करने से निचित रूप से वह मोक्ष को प्राप्त करता है।
संघ अध्यक्ष सुशील बांठिया ने बताया कि शाम को प्रभु शान्तिनाथ की भव्य अंगरचना किए जाने पर सैंकड़ो श्रद्धालुओं का तांता लग गया और उन्होनें इस अवसर पर प्रभु भक्ति का लाभ लिया।