udaipur. सूचना एवं प्रौद्योगिकी का महिलाओं पर होने वाले अपराधों पर पडे़ प्रभाव और इसके नकारात्मपक प्रभाव को सकारात्म क में बदलने के तौर तरीकों पर विचार करना होगा। ये विचार डॉ. कला मुणेत ने ‘सामाजिक परिर्वतन पर विज्ञान प्रौद्योगिकी का प्रभाव-महिला सम्बन्धित मुद्दे एवं चुनौतियों’ विषयक कार्यशाला के समापन पर व्य़क्त किए।
गोष्ठी का आयोजन राष्ट्रीय महिला आयोग, गृहविज्ञान महाविद्यालय एवं एल्युवमनी के तत्वारवधान में आयोजित की गई थी। प्रो. अंजू कोहली ने महिलाओं के व्यक्तिगत, सामाजिक एवं आर्थिक विकास पर बल दिया और कहा कि हर घर में यदि महिला सशक्त है तो उसका परिवार व समाज भी विकसित होगा जिसके द्वारा ही देश का विकास संभव है। पूनम पोसवाल ने ‘‘महिलाओं के आधुनिक जीवन शैली का उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव’‘ विषय पर चर्चा की तथा उसे सुदृढ़ बनाने के लिए विभिन्न आयु वर्ग के लिए हेल्थ माड्यूल्स व स्वास्थ्य जांच पर प्रकाश डाला।
डॉ. एम. के. श्रीमाली (प्रो.) ने ‘कुपोषण’ मुद्दे पर चर्चा करते हुए बताया कि किस तरह भोजन की गुणवक्ता में वृद्धि कर हम सूक्ष्म तत्वों की कमी को पूरा कर सकते है। डॉ. सुधा चौधरी ने महिला सशक्तिकरण के विभिन्न आयामों के विषय में बताया। आधुनिक काल में महिलाओं को सशक्तिकरण के लिए उपलब्ध अवसरों को पहचानना होगा। समापन में भविष्य में आधुनिक तकनिकी संशोधन व कार्य प्रगति, महिला मताधिकार व महिला अधिकार विषय पर प्रतिभागियों द्वारा चर्चा की गई।
अध्यक्षीय उद्बोधन में सह अधिष्ठाता डॉ. आरती सांखला ने कहा कि ग्रामीण व शहरी महिलाओं दोनों को सामाजिक-आर्थिक-मनोवैज्ञानिक के साथ-साथ शारीरिक रूप से सशक्त होना आवश्यंक है तथा इसके लिए प्रभावी रणनीती पर क्रियान्विती अति आवश्यीक है। तकनीकी सत्रों में संकलित मोड्यूल्स का मूल्यांकन समय समय पर होना जरूरी है ताकि संचालित योजनाओं की सफलता सुनिश्चित की जा सके।
समापन सत्र में प्रतिवेदन डॉ. विभा भटनागर, सचिव, द्वारा प्रस्तुत किया गया। उन्होंने बताया कि शिक्षा के द्वारा महिलाओं का ना सिर्फ ज्ञान बढ़ाया जा सकता है वरन् आत्मविश्वा्स और योग्यता को भी बढ़ाया जा सकता है। सफल महिलाओं को रोल मॉडल की तरह प्रस्तुत किया जाना चाहिए, जिससे अन्य महिलाएं उनसे मार्गदर्शन ले पायेगी। सह समन्वयक डॉ. गायत्री तिवारी ने कहा कि विकासशील देशों की महिलाओं को स्वयं के प्रति व्यापक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। सामाजिक परिवर्तन हेतु महिलाओं के प्रति विचारों में परिवर्तन आवश्ययक है।