उदयपुर संघ पहुंचा जसोल
udaipur. तेरापंथी सभा उदयपुर का श्री संघ का 400 सदस्यीय दल रविवार को बाड़मेर जिले के जसोल कस्बे में विराजमान तेरापंथ धर्म संघ के ग्यारहवें अधिष्ठाता आचार्य महाश्रमण के दर्शनों का लाभ लेने के लिए पहुंचा और उन्हें उदयपुर में पधारने की पुरजोर शब्दों में अर्ज प्रस्तुत की।
तेरापंथ के सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत की अगुवाई में पहुंचे इस श्री संघ में शामिल समाजजन ने गीतिकाओं और शब्दों के माध्यम से अपनी अर्ज को आचार्यश्री के समक्ष प्रस्तुत किया और कहा कि तेरापंथ धर्म संघ की उदभव स्थली राजसमंद जिले के केलवा में चातुर्मास के दौरान भी उन्होंने इस संबंध में विनती की थी। उन्होंने यह भी बताया कि पूर्वोत्तर से आने के बाद मेवाड़ का पहला चातुर्मास भीलवाड़ा के लिए घोषित हो चुका है। इसके बाद का चातुर्मास उदयपुर को स्वीकृत कराने की कृपा कराएं। आचार्यश्री ने कहा कि भीलवाड़ा का कार्यक्रम बनेगा, तब इस संबंध में विचार किया जाएगा। पुन: इस संबंध में ध्यान दिलाना। इस दौरान तेरापंथी सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत, मंत्री अर्जुनलाल खोखावत, उपाध्यक्ष सुबोध दुग्गड़, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष कंचन सोनी, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष विनोद मांडोत ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर उदयपुर संघ ने आचार्यश्री को गत 17 सितम्बर को देशभर में एक साथ किए गए रक्तदान शिविर के दौरान उदयपुर में ६ केन्द्रों पर आयोजित शिविरों में एकत्र 199 यूनिट रक्त संग्रहण की जानकारी दी। इस कार्य के लिए आचार्यश्री ने प्रसन्नता जताई और कहा कि युवाओं ने लक्ष्य का निर्धारण किया और अपनी श्रमशक्ति से उसे प्राप्त किया। इससे पूर्व आचार्यश्री ने अपने प्रवचन में कहा कि कषाय मुक्ति से जीवन शैली उन्नत बनती है। कषाय दु:ख का मूल है और इससे पाप कर्म का बंध होता है। जो राग, द्वेष के विलय की साधना करता है वह धन्य हो जाता है। मनुष्य को सदा पापकारी प्रवृत्ति से बचना चाहिए।